उन्होंने कहा कि लोगों में लंबे समय उपवास और भूखा रहने के कारण होता है। सोसाइटी के प्रवक्ता डॉ. आइके चुघ ने कहा मप्र में सबसे अधिक सर्जरी गाल ब्लाडर और हर्निया से संबंधित लोगों की होती है। इनमें कई मामले जटिल होते हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. शेखर श्रीवास्त्व ने बताया कि पिछले एक दशक में राजधानी सहित प्रदेश में 5 प्रतिशत से अधिक हर्निया मामले बढ़े हैं। यह देर तक एक स्थान पर बैठकर और जंक फूड खाने से होता है।
गाल ब्लाडर में ऐसे बनता है स्टोन
लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. अतुल कुमार अग्रवाल ने बताया कि लिवर में लगातार बनने वाला पित्त नली से होकर गाल ब्लाडर या पित्त की थैली में जाता है। थैली में पित्त और कोलेस्ट्रॉल का संतुलन बिगड़ने पर स्टोन बनता है। डॉ. अग्रवाल के अनुसार यह स्थिति ज्यादा देर तक खाली पेट रहने के कारण होती है। खाना नहीं खाने से लिवर में बनने वाले पित्त कोई उपयोग नहीं होता है। ये भी पढ़ें: रेलवे का ऐलान, एमपी के 4 बड़े स्टेशनों से होकर चलेगी स्पेशल ट्रेन चार हजार डॉक्टर को सर्जरी सिखाने की पहल
सोसाइटी की ओर से डॉक्टरों को जटिल केस की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी सिखाने के लिए मुंबई से 25 मरीजों की सर्जरी का लाइव टेलीकास्ट किया। इसमें भोपाल के 60 और मप्र के 4 हजार डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। एसोसिएशन के सांगठनिक चेयरमैन डॉ. राय पाटनकर ने मुंबई से सर्जरी का लाइव डेमोंस्ट्रेशन दिया। उन्होंने दूरबीन पद्धति से गाल ब्लाडर सर्जरी की जटिलताओं के उपाय सुझाए।