प्रजाति के संरक्षण में मिलेगी मदद
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रजनन कार्यक्रम से इंदौर के चिड़ियाघर में किंग कोबरा का एक स्वस्थ जोड़ा तैयार हो सकेगा, जिससे भविष्य में इस प्रजाति के संरक्षण में मदद मिलेगी। उम्मीद जताई जा रही है यह पहल सफल होगी और इंदौर का चिड़ियाघर किंग कोबरा के प्रजनन केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाएगा।
वन विहार होगा राज्य का पहला राष्ट्रीय उद्यान
एजेंसी की जिम्मेदारी अफ्रीकी महाद्वीप से जेब्रा और जिराफ को लाने की होगा। अधिकारियों ने बताया कि जानवरों को केवल समुद्री मार्ग से ही लाया जा सकता है। इसलिए एजेंसी को जहाज पर कार्गो स्पेस की व्यवस्था करने का भी काम सौंपा जाएगा। वर्तमान में मध्यप्रदेश के किसी भी राष्ट्रीय उद्यान में ये दोनों प्रजातियां नहीं हैं। वन विहार ऐसा करने वाला राज्य का पहला राष्ट्रीय उद्यान बन गया है। ये भी पढ़ें: ग्वालियर में जल्द चलेंगी पीएम ई-बस सेवा की 60 बसें, तय होंगे 10 रूट ! पशु विनिमय समझौता के तहत लाए गए कोबरा
वन विहार को पशु विनिमय समझौते के तहत कर्नाटक के पिलिकुला बायोलॉजिकल पार्क से दो नर किंग कोबरा मिले थे। एक की लंबाई 10.5 फीट और दूसरे की लंबाई 9.5 फीट है। इसके बदले में भोपाल से कर्नाटक बाघों का एक जोड़ा भेजने की योजना है।
जेब्रा और जिराफ से गुलजार होगा वन विहार
वन विहार में जल्द ही जेब्रा और जिराफ जैसे विदेशी जानवर दिखेंगे। यह वन विहार का महत्वाकांक्षी प्रस्ताव है, जिसे फिर से पुनर्जीवित किया गया है। अधिकारी इसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी करने की तैयारी कर रहे हैं।