इस बीच सत्तापक्ष ने मेज थपथपाकर उनका भरपूर साथ दिया। अंतत: टोका-टाकी नहीं थमी, तो विधानसभा अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा। तब भी बात नहीं बनी और विपक्ष ने बजट भाषण के बीच एक बार वॉकआउट कर दिया। वित्तमंत्री के लिए सदन में डायस का प्रबंध किया था। यहां तक कि वित्त मंत्री के खड़े रहने के लिए नीचे लकड़ी का छोटा स्ट्रक्चर भी था। पहली बार ऐसा हुआ जब वित्त मंत्री ने बिना पानी पीये पूरा बजट भाषण दिया। बाहर उन्होंने मीडिया से बात की। कर्ज लेने के सवाल पर कहा, विकास के लिए हर व्यक्ति कर्ज लेता है, वही सरकार कर रही है। इसे सकारात्मक दृष्टि से देखना चाहिए। हालांकि वित्तमंत्री व प्रमुख सचिव वित्त पत्रकारों के कुछ सवालों के जवाब नहीं दे सके।
कांग्रेसी विधायक कर्ज की पोटली और जंजीर लेकर पहुंचे
सत्र के तीसरे दिन बुधवार को कांग्रेसी विधायक कर्ज की पोटली व जंजीर लेकर पहुंचे। नेतृत्व नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने किया। कांग्रेसियों ने गांधी प्रतिमा के सामने नारेबाजी की। आरोप लगाया, शासन के कर्ज लेने से आम इंसान अप्रत्यक्ष रूप से कर्जदार बन रहा है। सरकार नौकरी, किसान, दलित, आदिवासी के मुद्दे पर बात नहीं करना चाहती।
बजट की खास बातें
850 करोड़: मेट्रो के अंतर्गत 7000 करोड़: संबल योजना 17136 करोड़: जल जीवन मिशन 700 करोड़: केन बेतवा लिंक परियोजना 1000 करोड़: पुलों का निर्माण 1000 करोड़: सड़कें सुदृढ होंगी 350 करोड़: नवीन ग्रामीण एवं जिला मार्ग निर्माण, उन्नयन के लिए 200 करोड़: एफ टाइप एवं उससे नीचे की श्रेणी के शासकीय आवासों के अनुरक्षण के लिए 150 करोड़: एफ टाइप से उच्च श्रेणी के शासकीय, गैर आवासीय भवनों का अनुरक्षण हेतु 100 करोड़: शासकीय आवास गृहों के निर्माण के लिए
1183 करोड़: लाड़ली लक्ष्मी योजना
2005 करोड़: सिंहस्थ 2028 के लिए
500 करोड़: वेदांत पीठ की स्थापना होगी
4400 करोड़: प्रधानमंत्री आवास योजना संंबंधित खबरें
एमपी के 7.50 लाख कर्मचारियों को झटका, 1 अप्रेल से मिलेगा भत्तों का लाभ
बजट के दौरान वित्त मंत्री ने पढ़े मंत्र, कही शायरी
न त्वहं कामये राज्यं न मोक्षं न स्वर्ग नापुनर्भवम्कामये दु:खतप्तानां प्राणिनामार्तिनाशनम् मैं राज्य की कामना नहीं करता, मुझे स्वर्ग और मोक्ष नहीं चाहिए। दु:ख में पीड़ित प्राणियों के दु:ख दूर करने में सहायक हो सकूं, यही मेरी कामना है। विद्या ददाति विनयं, विनया ददाति पात्रताम्। पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्म तत: सुखम्। विद्या विनम्रता प्रदान करती है, विनम्रता से पात्रता आती है, पात्रता से धन प्राप्त होता है, धन से धर्म होता है और अंतत: धर्म से सुख मिलता है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्त्राफला: क्रिया: जहां स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं और जहां स्त्रियों की पूजा नहीं होती है, उनका सम्मान नहीं होता है, वहां किए गए समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।
बजट नया है, पर शामिल कुछ पुरानी ख्वाहिशें हैं प्रस्तावित बजट में, हमारी कुछ नई आजमाइशें हैं जनता व जन प्रतिनिधियों की बेशुमार फरमाइशें हैं कर सकें हम सभी पूरी, ये हमारी कोशिशें हैं।