भरत ने ग्वालियर स्टेशन पर टीटीई की नौकरी की, कलेक्टरी भी कर चुके
दतिया निवासी भरत यादव ने 2008 में प्रशिक्षु के रूप में सेवा शुरू की। सिवनी, बालाघाट, मुरैना, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, जबलपुर में कलेक्टर रहे। हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर रहे, शहरी विकास एवं आवास विभाग में कमिश्नर समेत कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके।तत्कालीन मंत्री से लेकर वरिष्ठ अफसर के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी हैं नेहा
यूपी की रहने वालीं नेहा मारव्या ने 2011 में सेवा की शुरुआत की। बैतूल में सहायक कलेक्टर रहीं। भोपाल, अशोकनगर, जबलपुर में कई पदों पर रहीं। सिवनी, जबलपुर में जिपं सीईओ रहीं। भोपाल में जीएडी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास जैसे अन्य विभाग में सेवाएं दी।बेलवाल भर्ती कांड की जांच से सुर्खियों में
वन विभाग में पीसीसीएफ के पद से रिटायर ललित बेलवाल के खिलाफ जब भर्ती घोटाले के आरोप लगे तो जांच का जिम्मा नेहा को दिया गया। उन्होंने दबाव दरकिनार कर केस दर्ज करने की अनुशंसा कर दी, जबकि बेलवाल को एक तत्कालीन सीएस का करीबी माना जा रहा था। 2017 में नेहा ने शिवपुरी जिपं सीईओ रहते कलेक्टर के नाम से आवंटित वाहन का भुगतान रोका था, तर्क था कि किराया 18 हजार है तो 24 हजार क्यों दें। नेहा अपने सीनियर से भिड़ गईं थीं। उनकी एक तत्कालीन महिला मंत्री से भी अनबन हो गई थी।नेहा की ये कमजोरियां हो जाती हैं हावी
चर्चा है कि नेहा का तेज तर्रार वाला व्यवहार कई बार हावी हो जाता है। वरिष्ठों के खिलाफ भी बोल जाती हैं। राजनीतिक संतुलन नहीं बैठा पातीं, जबकि सरकारें ब्यूरोक्रेट से अपेक्षा करती हैं कि राजनीतिक लोगों की सुनी जाए। नेहा जिस कैडर की अफसर हैं, उस कैडर के कई आइएएस जिलों में कलेक्टर रहकर वापस आ गए, लेकिन नेहा को कलेक्टरी नहीं मिली। इसका जिक्र उन्होंने एक वाट्सऐप ग्रुप पर भी किया था।ये भी पढ़ें: वक्फ प्रॉपर्टी पर सरकार सख्त, लिया एक्शन, 5 दिन में मांगी रिपोर्ट