दरअसल, मध्यप्रदेश के कर्मचारी काफी लंबे समय से ट्रांसफर का इंतजार कर रहे हैं। पिछले सात कुछ मामलों में तबादलों की छूट दी गई थी, लेकिन इससे कर्मचारी वंचित रह जा रहे थे। प्रदेश में आखिरी बार तबादले साल 2022 में हुए थे। अभी प्रदेश में साढ़ सात लाख कर्मचारी है। जनवरी महीने में सरकार के द्वारा गंभीर बीमारी या अन्य वजह वाले मामलों में तबादले की छूट दी गई थी। हालांकि, यह तबादले प्रभारी मंत्री की सहमति से किए गए थे।
सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री चाहते थे कि पिछले साल शैक्षाणिक सत्र के बीच में ट्रांसफर न किए जाएं, क्योंकि इसके कारण स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों का कोर्स प्रभावित होता है। इसके साथ ही जब दूसरे विभागों में तबादते किए जाते हैं तो उनके बच्चों को स्कूल में शिफ्ट करने में इधर-उधर भागदौड़ करनी पड़ती है। जिस वजह से कर्मचारी और परिवार दूर रहता था।