हाथ गंवाने के बाद स्वाति मायूस और खुद को बेकार समझने लगीं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी कमजोरी को ताकत में बदल दिया। उन्होंने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग शुरू की और 17 साल की उम्र तक 18 नेशनल मेडल जीत लिए। वर्तमान में वह साई गांधीनगर में तलवारबाजी की ट्रेनिंग ले रही हैं।
Sunday Guest Editor: पैरालंपिक में मेडल जीतना है सपना
स्वाति ने बताया कि उनका सपना इंटरनेशनल गेस खेलने का है। लेकिन कई बार आर्थिक समस्या बाधा बन जाती है। पिछले साल उन्होंने तलवारबाजी में
इंटरनेशनल के लिए क्वालिफाई किया था, लेकिन 3.50 लाख फीस जमा नहीं होने से वह इसमें शामिल नहीं हो सकीं। प्रदेश में खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने, उचित मदद नहीं मिलने से दुखी हैं। उसका सपना पैरालंपिक में मेडल जीतना है।
बदल गई जिंदगी
स्वाति का कहना है कि उनके माता पिता
मजदूरी करते हैं। वह अपने दो भाइयों के साथ छोटे से मकान में रहती हैं। एक हाथ गंवाने के बाद कुछ दिन मायूस रही, फिर इसे ईश्वर की देन समझ लिया। राज्य खेल प्रशिक्षण केंद्र बहतराई के पास ही घर होने से वहां जाने लगी।
कोच किरण सर ने मेरा हौसला बढ़ाया। मैं कराटे, ताइक्वांडो और मार्शल आर्ट जैसे खेलों में मेहनत करने लगी। राष्ट्रीय और स्टेट लेवल के खेलों में मार्शल आर्ट, कराटे, ताइक्वांडो ओर तलवारबाजी में पैरालंपिक खिलाड़ी बनकर अब तक 18 मेडल जीत चुकी हूं।
सोच यह: हमेशा आपके साथ बुरा नहीं हो सकता। समय बदलता है। सुझाव भेजें sunday@in.patrika.com