विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अनुदान देने से पहले गोशालाओं की जांच की जाती है। इसके लिए एक कमेटी भौतिक सत्यापन करती है। इसके बाद आवेदनों की जांच की जाती हैं। बाद में जिला कलक्टर की अध्यक्षता में जिला गोपालन समिति की बैठक होती है। गोशालाओं से जुड़े पदाधिकारियों को भी इसमें बुलाया जाता है। उसमें रिपोर्ट के आधार पर गोशालाओं को अनुदान जारी किया जाता है।
बजट में सरकार ने अनुदान में बढ़ोत्तरी के साथ ही गोवंश के स्वास्थ्य वर्धन के लिए सर्दी के मौसम में बाजरा देने की भी घोषणा की है। यह भी गोवंश के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। अब देखना होगा कि इतने कम राशि में एक-एक गोवंश की गोशाला संचालक कैसे पूर्ति कर पाते है। इस राशि में उन्हें चारा-पानी के अलावा छाया और उनकी आवश्यकता के अनुसार कार्य करना होगा।
डॉ.रामलाल मीणा, संयुक्त निदेशक,पशुपालन विभाग, बूंदी