गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र का अभाव है। छोटी-छोटी बीमारी होने पर भी तालेड़ा, सुवासा, कोटा इलाज के लिए ग्रामीणों को जाना पड़ता है। गांव में 300 से ज्यादा पशु है, जिनके इलाज के लिए भी गांव में कोई सुविधा नहीं है। 80 वर्षीय पन्नालाल कुशवाहा ने बताया गांव में शिक्षा का काफी अभाव है। गांव में 37 वर्ष पूर्व सरकार के द्वारा 1988 में प्राइमरी स्कूल खोला गया था, जिसमें 91 बच्चे अध्यनरत है, लेकिन इसे आज तक मिडिल स्कूल में क्रमोन्नत नहीं किया गया। उसके बाद स्कूली बच्चों को आगे पढ़ाई के लिए छपावदा, बाजड, नोताडा 3 किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। पूरे गांव में मात्र एक युवक शिक्षक है।
खारा पानी, बड़ी परेशानी
ग्रामीण धनराज कुशवाहा ने बताया गांव में पानी की समस्या है। गांव में बनी पानी की टंकी 2 साल से खराब पड़ी है और गांव में चार सरकारी हैण्डपप है, जिनमे तीन का पानी खारा है और एक हैण्डपंप का पानी मीठा है, जिसमें पानी की मोटर डालकर पाइप लगाकर ग्रामीण पानी भरते हैं। प्रशासन को कई बार शिकायत करने के बावजूद भी पानी की समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। ग्रामीण खेती व मजदूरी पर निर्भर है। इसके अलावा आजीविका का चलने का कोई साधन नहीं है।