दो साल पहले पूरा होना था प्रोजेक्ट, अब शुरुआत भी अधर में
अमृत मिशन पार्ट-2 के अंतर्गत नगर पालिका प्रशासन द्वारा छतरपुर शहर में सीवर लाइन बिछाने का कार्य वर्ष 2023 में ही पूरा किया जाना था। लेकिन बार-बार आ रही तकनीकी व प्रशासनिक अड़चनों के चलते प्रोजेक्ट अभी तक शुरू भी नहीं हो पाया है। अगर हाल ही में टेंडर निरस्त न होता, तो मई 2025 में इस पर कार्य प्रारंभ हो सकता था।
पहले फेज में 165 करोड़ की लागत से दो ट्रीटमेंट प्लांट प्रस्तावित
प्रोजेक्ट के पहले फेज में 40 हजार घरों को सीवर लाइन से जोडऩे की योजना है। इसके तहत दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट एक सौंरा और दूसरा नई तहसील के पास स्थापित किए जाने थे, जिनकी कुल लागत 165 करोड़ रुपए है। दोनों प्लांट की संयुक्त क्षमता 18 एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) होगी। इनसे 20812 घरों को जोड़ा जाना था। इस ट्रीटमेंट से निकलने वाला पानी खेती या अन्य उपयोग में दोबारा प्रयोग किया जा सकेगा।
ड्रेनेज और तालाब सौंदर्यीकरण पर भी पड़ा असर
प्रोजेक्ट के सैकंड फेज में 113 करोड़ रुपए के कार्य प्रस्तावित हैं। इसमें 6.4 एमएलडी का अतिरिक्त टैंक निर्माण, 14295 हाउस कनेक्शन तथा ग्वालमगरा और संकट मोचन तालाब का सौंदर्यीकरण और गहरीकरण शामिल है। इसके लिए 1.56 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं। सोलर प्लांट से संचालित मिनी एसटीपी, ड्रेनेज सिस्टम, फाउंटेन और वॉटर क्लीनिंग यूनिट जैसे कार्य भी प्रस्तावित थे, जो अब टेंडर निरस्त होने से ठप पड़ गए हैं।
400-500 किमी लंबी सीवर लाइन बिछाई जानी है
इस मेगाप्रोजेक्ट के तहत पूरे शहर में 400 से 500 किमी लंबी सीवर लाइन बिछाई जानी है। इसके साथ 15 से 20 हजार चैंबर, दो इंटरमीडिएट पंप स्टेशन और 8936 प्राथमिक कनेक्शन जोड़े जाएंगे। पूरी योजना को वर्ष 2055 तक की आबादी को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
फैक्ट फाइल
प्रोजेक्ट- अमृत 2.0 सीवर लाइन योजना
पहला फेज- 165 करोड़, 18 एमएलडी क्षमता, 20812 घर
दूसरा फेज- 113 करोड़, 6.4 एमएलडी, 14295 घर
लंबाई- 400-500 किमी सीवर लाइन
अवरोध- सोलर प्लांट दरें अधिक होने से टेंडर निरस्त
इनका कहना है
राज्य स्तरीय तकनीकी समिति ने सोलर प्लांट की दरें अधिक पाए जाने पर टेंडर निरस्त किया है। अब नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
अंकित अरजरिया, उपयंत्री, नगरपालिका
पत्रिका व्यू
छतरपुर शहर में बढ़ती जनसंख्या और दूषित जल निकासी की समस्या को देखते हुए अमृत 2.0 प्रोजेक्ट अत्यंत आवश्यक था। लेकिन टेंडर निरस्तीकरण और तकनीकी आपत्तियों के चलते यह प्रोजेक्ट वर्षों से सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गया है। अब एक बार फिर उम्मीद की जा रही है कि नई टेंडर प्रक्रिया को शीघ्रता से अंजाम दिया जाएगा और इस बहुप्रतीक्षित योजना को धरातल पर उतारा जा सकेगा।