मजदूर ताकते रह जाते हैं, मशीनें खुदाई कर लेती हैं
इमलिया पंचायत के निवासी प्यारेलाल अहिरवार के खेत में तालाब खुदाई का कार्य चल रहा है, लेकिन यह खुदाई मजदूरों से नहीं, बल्कि जेसीबी मशीन से कराई जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि कई मजदूर आसपास मौजूद रहते हैं, इस उम्मीद में कि शायद उन्हें भी काम मिल जाए, लेकिन मजदूरी के हकदार मजदूर दूर बैठकर मशीनों को काम करते हुए देखने को मजबूर हैं।
पंचायत प्रतिनिधियों और अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप
ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत प्रतिनिधि, सचिव, रोजगार सहायक और उपयंत्री की मिलीभगत से मशीनों का प्रयोग कर मनरेगा के फंड से मनमानी की जा रही है। इससे न केवल योजना की मूल भावना को ठेस पहुंच रही है, बल्कि हजारों ग्रामीणों का रोजगार भी खतरे में है। मनरेगा का उद्देश्य गांव में ही लोगों को रोजगार देना है, लेकिन यहां योजना केवल अफसरों और दलालों के लिए कमाई का जरिया बन चुकी है।
शिकायतों पर भी नहीं होती कार्रवाई
मनरेगा में गड़बड़ी की शिकायतें पहले भी कई पंचायतों से सामने आ चुकी हैं। ग्राम पंचायत कैथोकर का उदाहरण सामने है, जहां जिला पंचायत सीईओ के निर्देशों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। ऐसा ही अब इमलिया में हो रहा है, जहां लगातार शिकायतों के बावजूद मशीनों से खुदाई बदस्तूर जारी है।
जनपद सीईओ ने दिए जांच के निर्देश
इस मामले पर जब जनपद सीईओ डॉ. हरीश केसरवानी से प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने कहा आपके माध्यम से ग्राम पंचायत इमलिया में मशीन चलने की जानकारी मिली है। कल ही उपयंत्री को भेजकर जांच करवाते हैं।
पत्रिका व्यू
यह स्थिति केवल इमलिया की नहीं, जनपद के कई गांवों में मनरेगा के नाम पर हो रही इस तरह की धांधलियों से मजदूरों का भरोसा टूट रहा है। इस तरह की गतिविधियों से मजदूरी की आश में बैठे ग्रामीणों का मनरेगा से मोहभंग हो रहा है। पहले से ही मजदूरी दर कम होने के कारण लोग इस योजना से दूर हो रहे हैं, ऊपर से काम मशीनों से कराकर फर्जी भुगतान किया जा रहा है। यदि जिला प्रशासन समय रहते सख्त कदम नहीं उठाता तो यह योजना केवल कागजों तक सिमटकर रह जाएगी।