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छतरपुर

प्रकाश बम्होरी, बदौराकला, घटहरी की क्रशर खदानों में बेलगाम हो रहा उत्खनन, 250 से 300 फीट गहरे खोद डाले पहाड़

पर्यावरण सुरक्षा के नियमों को दरकिनार कर रहे हैं, बल्कि सुरक्षा मानकों की भी घोर अनदेखी की जा रही है। खनन की गहराई इतनी अधिक हो गई है कि कई पहाड़ 250 से 300 फीट गहराई तक खोदे जा चुके हैं।

छतरपुरApr 30, 2025 / 10:14 am

Dharmendra Singh

krsher mines

प्रकाश बम्होरी इलाके में पहाड़ काटकर बना दी खाई

जिले के विभिन्न इलाकों में चल रही पत्थर खदानों में क्रशर कारोबार बेलगाम होता जा रहा है। मुनाफे की होड़ में क्रशर संचालक न सिर्फ पर्यावरण सुरक्षा के नियमों को दरकिनार कर रहे हैं, बल्कि सुरक्षा मानकों की भी घोर अनदेखी की जा रही है। खनन की गहराई इतनी अधिक हो गई है कि कई पहाड़ 250 से 300 फीट गहराई तक खोदे जा चुके हैं। खदानों में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं और खनन के बाद छोड़ी गई गहरी खाइयों में पानी भरने से जानलेवा हादसे हो रहे हैं।

6 मीटर की सीमा पार, 70 मीटर से भी गहरे उत्खनन


मौजूदा खनिज नियमों के तहत पत्थर खदानों में अधिकतम 6 मीटर तक ही खुदाई की अनुमति होती है। इससे अधिक खुदाई के लिए ग्वालियर या नागपुर स्थित पर्यावरण विभाग से विशेष अनुमति आवश्यक है। लेकिन जिले में संचालित अधिकांश खदानों में यह सीमा पार कर जमीन से 20 मीटर नीचे और पहाड़ की ऊंचाई जोडकऱ कुल 70 मीटर तक खनन किया जा चुका है। यह अवैध उत्खनन नियमों की खुली अवहेलना है, जिसकी अनदेखी स्थानीय प्रशासन और खनिज विभाग कर रहा है।

प्रशासन और विभाग की चुप्पी बनी दुर्घटनाओं का कारण


प्रकाशबम्होरी, बदौराकला, राजनगर, घटहरी, लवकुशनगर, सरसेड़, नौगांव, गौरिहार, महाराजपुर क्षेत्रों में दर्जनों वैध-अवैध खदानें संचालित हैं, लेकिन इनमें सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा। इन गहराइयों में गिरे पानी से भरे गड्ढों में जानवर, बच्चे और मजदूर आए दिन डूबकर अपनी जान गंवा रहे हैं। शासन की गाइडलाइन के अनुसार गहरी खदानों के चारों ओर जाली लगाना अनिवार्य है, ताकि कोई दुर्घटना न हो, लेकिन अधिकतर स्थानों पर यह व्यवस्था नहीं की गई है।

पर्यावरण और राजस्व को दोहरी चोट


क्रशर संचालक दिन-रात अवैध खनन और ब्लास्टिंग कर पहाड़ों को समतल कर रहे हैं। न तो इन क्रशर प्लांट्स के पास पर्यावरणीय अनुमति है, न ही इनकी दूरी मुख्य मार्गों से निर्धारित मापदंडों के अनुरूप है। शासन के नियमों के मुताबिक किसी भी क्रशर प्लांट को प्रधानमंत्री सडक़ योजना की सडक़ों से 100 मीटर और अन्य मुख्य मार्गों से 200 मीटर की दूरी पर स्थापित किया जाना चाहिए। लेकिन घटहरी और प्रकाश बम्हौरी मार्ग पर कई क्रशर प्लांट सडक़ से सटे हुए हैं।

ग्रामीणों ने जताया विरोध, नहीं हुई कार्रवाई


स्थानीय ग्रामीणों ने इन खतरनाक खनन गतिविधियों को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन किए, जाम लगाए और प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। नतीजतन हादसे लगातार बढ़ते जा रहे हैं और सरकार को राजस्व की हानि के साथ-साथ पर्यावरणीय क्षति भी हो रही है।

इनका कहना है


माइनिंग प्लान के मुताबिक खनन नहीं करने वाले खदान संचालकों पर समय समय पर कार्रवाई की गई है। नियमों के उल्लंघन की शिकायतों पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
अमित मिश्रा, सहायक संचालक, खनिज

पत्रिका व्यू


क्रशर खदानों में बेलगाम खनन और नियमों की अनदेखी ने न सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि जनसुरक्षा पर भी गंभीर खतरा खड़ा कर दिया है। यदि प्रशासन ने शीघ्र ही कठोर कार्रवाई नहीं की, तो आने वाले समय में स्थिति और भयावह हो सकती है।

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