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छतरपुर

शहर में 12 पेथोलॉजिस्ट, लैब चल रहे 120, प्रशासन नहीं करता जांच, सरकारी एमबीबीएस डॉक्टर भी चला रहे लैब

जहां एक ओर शहर में कुल 12 पेथोलॉजिस्ट की मौजूदगी का दावा किया जाता है, वहीं दूसरी ओर शहर में लगभग 120 लैब संचालित हो रही हैं। इन लैबों में से अधिकांश में न तो योग्य विशेषज्ञ मौजूद हैं और न ही प्रशासनिक निगरानी का कोई ठोस तंत्र नजर आता है।

छतरपुरJan 30, 2025 / 10:56 am

Dharmendra Singh

hospital

सरकारी अस्पताल

छतरपुर. शहर में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जहां एक ओर शहर में कुल 12 पेथोलॉजिस्ट की मौजूदगी का दावा किया जाता है, वहीं दूसरी ओर शहर में लगभग 120 लैब संचालित हो रही हैं। इन लैबों में से अधिकांश में न तो योग्य विशेषज्ञ मौजूद हैं और न ही प्रशासनिक निगरानी का कोई ठोस तंत्र नजर आता है। इसके अलावा, चौंकाने वाली बात यह है कि सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले एमबीबीएस डॉक्टर भी निजी लैब चला रहे हैं, जो नियमों का उल्लंघन है।

बिना पैथोलॉजिस्ट चल रही अधिकतर लैब


भारतीय चिकित्सा परिषद और संबंधित स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार, केवल योग्य पेथोलॉजिस्ट को ही पैथोलॉजी लैब चलाने की अनुमति है। लेकिन छतरपुर शहर में ऐसा उल्लंघन बड़े पैमाने पर हो रहा है। यहां के कई लैब संचालक, जिनके पास पेथोलॉजिस्ट की डिग्री नहीं है, वह बिना किसी नियामक कार्रवाई के लैब चला रहे हैं। साथ ही, एक ही डॉक्टर के पास कई लैबों की जिम्मेदारी है। कुछ डॉक्टर दो या तीन जगहों पर लैब चला रहे हैं, जबकि यह प्रैक्टिस पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है। खासकर, सरकारी डॉक्टरों को अपने सरकारी दायित्वों के अलावा निजी लैब चलाने की अनुमति नहीं दी जाती है।

प्रशासन की विफलता से बढ़ रही अनियमितता


यह स्थिति यह बताती है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की ओर से पर्याप्त निगरानी और कार्रवाई नहीं की जा रही है। इन लैबों का संचालन पूरी तरह से अवैध तरीके से हो रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई करने में विफल साबित हो रहे हैं। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि यह मरीजों के लिए भी गंभीर समस्या बन सकती है।

मरीजों के स्वास्थ्य पर खतरा

लैबों की अनियमितता का सीधा असर मरीजों के स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। बिना लाइसेंस प्राप्त लैबों में परीक्षणों की सटीकता और गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं। अक्सर, इन लैबों में टेस्टिंग के दौरान गलत परिणाम भी सामने आते हैं, जिससे मरीजों को गलत इलाज मिल सकता है। कई बार, बिना प्रशिक्षित कर्मचारियों के हाथों में सैंपल की जांच होती है, जिससे मरीजों की जिंदगी को खतरा हो सकता है।

जांच और कार्रवाई की जरूरत


स्थानीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि छतरपुर शहर में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किसी ठोस निगरानी प्रणाली की आवश्यकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह इन लैबों का नियमित रूप से निरीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि जो भी लैब चलाए जा रहे हैं, वे सभी नियमों के तहत काम कर रहे हों। यदि कहीं भी अवैध या अनियमित लैब चल रही है, तो तुरंत कार्रवाई की जाए।

सामाजिक संगठन और जन जागरूकता


कुछ सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई है और प्रशासन से आग्रह किया है कि वह इस मामले में सख्त कार्रवाई करे। इन संगठनों का मानना है कि इस तरह के अनियमित लैबों की वजह से मरीजों का जीवन संकट में पड़ सकता है, और यह समाज के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन सकता है।

पत्रिका व्यू


छतरपुर शहर में पैथोलॉजी लैबों की बढ़ती संख्या और बिना योग्य लाइसेंस के लैब चलाने के मुद्दे ने शहर के स्वास्थ्य तंत्र की कमजोरियों को उजागर किया है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस मामले में तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी लैबों का संचालन नियमों के तहत हो। साथ ही, मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की सर्वोत्तम देखभाल को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े।

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