वर्ष 2018 में बना था बड़ा पेयजल संकट
वर्ष 2018 में शहर के अंदर सबसे बड़ा पेयजल संकट बन गया था, जब अल्प बारिश हुई थी। इसका असर वर्ष 2019 तक बना रहा। जब तक नगर निगम के अधिकारी शहर से 35 किमी दूर तक माचागोरा डैम के समीप जम्होड़ी पंडा तक पाइप लाइन नहीं बिछा पाए। इस दौरान शहर पेयजल संकट से जूझता रहा। इसके उपरांत शहर में अमृत योजना-1 से पेयजल टंकी बनी और आसपास के 14 ग्रामों तक पानी पहुंचाया गया। हालांकि अभी भी कुछ ्रग्राम और कॉलोनियों में पेयजल पहुंचना शेष है, जिनके लिए अमृत योजना 2.0 के तहत 74 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इससे पहले छिंदवाड़ा शहर में वर्ष 1986 से पहले पेयजल संकट था। उसके बाद कन्हरगांव डैम के निर्माण के साथ पेयजल समस्या का अंत हुआ था।
मार्च में ही यहां दिखाई दी पेयजल किल्लत
वार्ड नं.47 में बोर की मोटर खराब होने से बोंडे कॉलोनी, फुकट नगर,कैलाश विहार,बालाजीधाम कॉलोनी में पेयजल संकट बना हुआ है। इससे पहले हाल ही में परासिया रोड में ग्राम कुण्डालीकला में निर्मित पिंक सिटी कॉलोनी में महिलाओं की दूरदराज से पानी लाती तस्वीरें दिखाई दी। इसके अलावा शिकायत वार्ड क्रमांक 22 शक्कर मिल टेकड़ी में पानी टैंकर न पहुंचने की थी। एक और स्थायी शिकायत सुकलूढाना की है,जहां पहाड़ी ऊंचाई होने से मौजूद बसाहट में हमेशा पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है। ये भी व्यवस्थागत खामियां है, जहां पेयजल समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
57 पेयजल टंकी से 37 हजार नल कनेक्शन
नगर निगम के रिकार्ड के अनुसार 48 वार्ड की 2.76 लाख आबादी को पेयजल आपूर्ति करने घरेलू और सार्वजनिक रूप से 37678 नल कनेक्शन दिए गए हैं। कन्हरगांव और माचागोरा डैम का पानी 57 पेयजल टंकी तथा 100 बोर के माध्यम से घर-घर पहुंचता है। प्रति व्यक्ति पानी की राष्ट्रीय औसत खपत 135 लीटर है।
इनका कहना है….
तापमान में वृद्धि के चलते शहर के कुछ इलाकों में बोर का पेयजल स्तर कम हुआ है। भविष्य में पेयजल के इंतजाम बढ़ाने पड़ेंगे। फिलहाल निगम के समक्ष आ रही पेयजल समस्याओं का समाधान करने निगम प्रयासरत है।
-विवेक चौहान, प्रभारी अधिकारी,जलप्रदाय नगर निगम