खेतों, मैदानों और रास्तों में हो रहे हादसे सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को हो रहा है जो खेतों में काम कर रहे होते हैं, या फिर बारिश के बीच खुले मैदानों में मौजूद रहते हैं। चरवाहे, किसान और राहगीर इन घटनाओं के मुख्य शिकार बन रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार, कई हादसे ऐसे समय में हुए जब मौसम विभाग पहले ही अलर्ट जारी कर चुका था, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से न तो कोई चेतावनी जारी की गई और न ही गांवों या स्कूलों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया।
प्रशासन की बेफिक्री चिंता का कारण चौंकाने वाली बात यह है कि घटनाओं के बावजूद प्रशासन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है। न मुनादी कराई गई, न ही ग्राम पंचायतों को दिशा-निर्देश दिए गए। जिम्मेदार अधिकारी घटनाओं पर शोक तो जताते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में घटनास्थल तक नहीं पहुंचते। यदि समय रहते चेतावनी और सावधानी संबंधी जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाती, तो कई जानें बच सकती थीं।
पत्रिका सुझाव, इस तरह करें, बचाव: बारिश या गरज-चमक के दौरान खेतों, मैदानों या ऊंचे खुले स्थानों पर न जाएं। : पेड़ों के नीचे या बिजली के खंभों के पास खड़े न हों।: बिजली कड़कने के समय मोबाइल, छतरी, या धातु की वस्तुएं न पकड़ें।
: सुरक्षित पक्के मकानों या भवनों में शरण लें।: मौसम विभाग के बिजली गिरने संबंधी अलर्ट को गंभीरता से लें और अन्य को भी सतर्क करें।