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लाडो, शौर्या जैसी योजनाएं बेअसर, महिला अपराधों में नहीं आ रही कमी

महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के जरिए महिला सुरक्षा को लेकर जागरूक करने की है जिम्मेदारी दमोह. जिले में महिला सुरक्षा को लेकर महिला बाल विकास विभाग ढेरों योजनाएं चला रहा है। हैरानी की बात यह है कि इसके बाद भी महिला अपराधों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। जागरुकता की कमी […]

दमोहFeb 19, 2025 / 01:46 am

हामिद खान

लाडो, शौर्या जैसी योजनाएं बेअसर, महिला अपराधों में नहीं आ रही कमी

लाडो, शौर्या जैसी योजनाएं बेअसर, महिला अपराधों में नहीं आ रही कमी

महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के जरिए महिला सुरक्षा को लेकर जागरूक करने की है जिम्मेदारी

दमोह. जिले में महिला सुरक्षा को लेकर महिला बाल विकास विभाग ढेरों योजनाएं चला रहा है। हैरानी की बात यह है कि इसके बाद भी महिला अपराधों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। जागरुकता की कमी के कारण अपराधों में बढ़ोत्तरी हो रही है। बता दें कि विभाग द्वारा लाडो अभियान, शौर्या दल, मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना और मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास जैसी योजनाएं चला रहा है। अपराधों को देखते हुए यह योजनाएं सिर्फ कागजों में प्रचार-प्रसार करते दिख रही हैं।
महिला सुरक्षा के लिए गठित शौर्या दल का उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षा देना था, लेकिन यह जमीनी स्तर पर निष्क्रिय पड़ा हुआ है। इसी तरह लाडो अभियान, जो बाल विवाह रोकने और बालिकाओं को सुरक्षा व शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए शुरू किया गया था, वह भी अपने मकसद में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहा। कुछ महिलाओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने इन योजनाओं के बारे में सुना जरूर है, लेकिन जब सहायता के लिए संबंधित विभाग से संपर्क किया, तो उन्हें सिर्फ आश्वासन मिले।
महिला सशक्तिकरण योजनाएं

1. लाडो अभियान (2013) – बाल विवाह रोकने और समाज की मानसिकता बदलने के लिए शुरू किया गया।

2. शौर्या दल – महिलाओं को सक्षम बनाने और सुरक्षा प्रदान करने के लिए आंगनबाड़ी स्तर पर गठित किया जाता है।
3. महिला सशक्तिकरण योजना (2013) – पीडि़त महिलाओं को आर्थिक व सामाजिक पुनर्वास में सहायता प्रदान करती है।

4. मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम (2015) 5. युवक-युवतियों को सामाजिक नेतृत्व के लिए प्रशिक्षित करता है।
विशेषज्ञों की राय और बड़ा सवाल

जानकारों का मानना है कि यदि इन योजनाओं को सही तरीके से लागू किया जाए, तो महिलाओं को न केवल सुरक्षा मिलेगी, बल्कि वे आत्मनिर्भर भी बन सकेंगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस हकीकत को समझकर ठोस कदम उठाएगा या फिर ये योजनाएं सरकारी फाइलों और दावों तक ही सीमित रह जाएंगी।
&योजनाओं का उद्देश्य महिलाओं को जागरूक करना है। विभाग द्वारा यह काम कराया जा रहा है। कार्यशालाएं, नुक्कड़ नाटक, गोष्टी आदि आयोजित की जा रही हैं।

संजीव मिश्रा, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विभाग

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