क्या है पूरा मामला ?
बुधवार शाम को एक 12 साल की बच्ची की मां उसे लेकर पुलिस थाने पहुंची और आरोप लगाया कि 12 अप्रैल को उस बच्ची के साथ आरोपी उस्मान ने बलात्कार किया था। इस घटना के बाद इलाके में प्रदर्शन शुरू हो गए, और आरोपी की दुकान के आसपास के बाजार में कई दुकानों और रेस्टोरेंट में तोड़फोड़ की गई।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं कर सकते: हाई कोर्ट
दुकान गिराने के नोटिस के खिलाफ आरोपी की 60 वर्षीय पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी नरेंद्र और जस्टिस रवींद्र मैठानी की पीठ ने कहा, “हम अवमानना का मामला शुरू कर रहे हैं और इसे गंभीरता से ले रहे हैं। आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं कर सकते यह कोई सदियों पुराना आदेश नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि किसी के घर को गिराने के लिए विधिसम्मत प्रक्रिया का पालन होना चाहिए।”
क्या है नगर पालिका का आरोप ?
नगर पालिका का आरोप है कि उस्मान ने पालिका/वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण किया था। वहीं उसकी पत्नी का कहना है कि स्थानीय मीडिया में बलात्कार की खबर आने के बाद उन्हें धमकियां मिलने लगीं और उन्हें घर छोड़कर भागना पड़ा। राज्य सरकार की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि यह नोटिस केवल उस्मान को नहीं, बल्कि कई लोगों को अवैध अतिक्रमण के चलते भेजे गए थे।
कोर्ट ने पुलिस से जताई नाराजगी
पुलिस पर नाराजगी जताते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आपकी नाकामी से ही ये सब होता है और अब आप उसे छुपाने की कोशिश कर रहे हैं। सभी की दुकानें तोड़ी गईं, ऐसा क्यों हुआ? अगर पुलिस सतर्क होती तो ऐसा न होता। दंगाइयों पर क्या कार्रवाई हुई है? हमें जवाब चाहिए।”
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश ?
सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर, 2023 को एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा था कि किसी भी व्यक्ति का घर या निजी संपत्ति केवल इसलिए नहीं तोड़ी जा सकती क्योंकि वह किसी अपराध का आरोपी है। वकीलों ने उस्मान का केस लड़ने से किया इंकार
गुरुवार को जिला अदालत के वकीलों ने आरोपी की पैरवी करने से इनकार कर दिया। जस्टिस मैठानी ने पूछा, “जब आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया तो वकीलों से झड़प क्यों हुई? आपने इसकी आशंका पहले क्यों नहीं जताई?” मुख्य न्यायाधीश ने पूछा, “किसी को आरोपी का प्रतिनिधित्व करने से कैसे रोका जा सकता है?”