हर संक्रांति का अपना अलग प्रभाव होता है। इस खास दिन पर पवित्र नदियों में स्नान करने से शुभफल की प्राप्ति होती है। कुंभ संक्रांति का दिन भगवान सूर्य देव की पूजा के लिए उत्तम समय होता है।
कुंभ संक्रांति महात्म्य
कुंभ संक्रांति हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदी वर्ष के ग्यारहवें माह के आरम्भ का प्रतीक है। वर्ष की सभी बारह संक्रान्ति, दान-पुण्य आदि कार्यों हेतु अत्यधिक शुभ होती हैं। प्रत्येक संक्रान्ति हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और आध्यात्मकि कार्यों के लिए विशेष शुभ मानी जाती हैं। कुंभ संक्रान्ति का दिन भगवान सूर्यदेव की उपासना के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन गायों को चारा देना अत्यन्त शुभ फलदायी माना जाता है। इसके अलावा गंगा स्नान, यमुना के संगम स्थल, त्रिवेणी में स्नान करना सर्वाधिक शुभ माना जाता है।
कब है कुंभ संक्रांति
हिंदु पंचांग के अनुसार कुंभ संक्रांति 12 फरवरी 2025 दिन बुधवार की रात को 10 बजकर 04 मिनट पर शुरु होगी। वहीं अगले दिन 13 फरवरी गुरुवार को कुंभ संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। जिसे कुंभ संक्रांति के रूप में जाना जाता है।
कुंभ संक्रांति पर पवित्र स्नान का महत्व
इस दिन सूर्य मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करता है। जिससे मौसम में बदलाव और ऊर्जा परिवर्तन होता है। गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। साथ ही अन्न, वस्त्र और तिल का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। कुंभ संक्रांति का सीधा संबंध कुंभ मेले से भी है। कुंभ मेले का आयोजन हर 12 वर्षों में होता है। और इस दौरान श्रद्धालु स्नान करके आत्मशुद्धि प्राप्त करते हैं। कुंभ संक्रांति पर पूजन विधि
इस शुभ दिन पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या घर में गंगाजल डालकर स्नान करें। स्नान के बाद तांबे के पात्र में जल, लाल फूल और तिल डालकर
सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस दिन तिल, गुड़, कंबल, अन्न और वस्त्र का दान करना विशेष फलदायी माना जाता है।
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