चौक सीवरों के कारण पानी निस्तारण की व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने के कारण शहर पिछले तीन सालों से जलभराव से जूझ रहा है। मानसून के साथ सर्दी का सीजन भी बीतने को है, लेकिन अभी भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां जलभराव बना हुआ है। जो स्थानीय लोगों के लिए सिरदर्द तो बना हुआ है वहीं पेड़, पौधे भी इसकी गिरफ्त में आ चुके हैं। जिस कारण नर्सरी, गौशाला सहित शहर के अन्य क्षेत्रों में लगभग 80 से 90 पेड़ नाले के गंदे पानी और जलभराव के कारण गल कर सूख चुके हैं और अब केवल ठूंठ बनकर खड़े हैं। खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर पेड़ नीम और पीपल के हैं जो 40 से 50 वर्ष पुराने थे। जो अब सूख कर ठूंठ हो चुके हैं। तो वहीं बेलपत्र और पापड़ी के दर्जन भर पेड़ भी गल का सूख चुके हैं। इसके अलावा अन्य पेड़ भी सूखने की कगार पर हैं जिनमें कई पेड़ों टहनियां और पत्ते सूख चुके हैं। जानकारों का मानना है कि अगर जलभराव की समस्या यथावत बनी रहती है तो और भी पेड़ गंदे पानी के कारण सूख सकते हैं। ज्ञात हो कि अभी भी बरसात और गंदे नाले का पानी नर्सरी के चहुंओर भरा हुआ है। इसके अलावा गौशाला क्षेत्र में भी जलभराव की भयाभय स्थिति बनी हुई है।
3 साल से लगातार होता जलभराव इस सीजन के दौरान हुई अच्छी बारिश से नर्सरी और गौशाला क्षेत्र में बरसाती पानी के साथ सीवरेज का गंदा पानी भी एकत्र रहा। लगातार 2 से 3 साल तक यहां इस तरह की स्थिति बनी हुई है, जिससे पेड़ पौधे नष्ट हो चुके हैं। इधर, अचानक से सूखे इन पेड़ों और झाडिय़ों को लेकर आस पास रहने वाले लोग भी हैरान हैं। वर्षों तक इन पेड़ों की छांव के गवाह रहे लोग अब इन सूखे पड़ों को देखकर दुखी हैं। पिछले दो से तीन साल में बरसाती पानी के साथ सीवरेज लाइन ब्लॉकेज के बाद गंदा पानी भी इन क्षेत्रों में भरा रहता है।
40 से 50 साल पुराने पेड़ सूखे जलभराव के कारण छोटे-मोटे पेड़ पौधों की कोई गिनती नहीं है। गंदे पानी की चपेट में आने से 40 से 50 साल पुराने पेड़ भी सूख का ठूंठ बन चुके हैं। नीम, पीपल समेत अन्य पेड़ों को ज्यादा नुकसान हुआ। वानिकी विशेषज्ञ का कहना है कि ड्राय एरियाज में पानी के भराव और सीवरेज में दूषित पानी में नीम, पीपल के नष्ट होने की संभावना ज्यादा रहती है। हालांकि नीलगिरी के पेड़ इस स्थिति में भी नष्ट नहीं होता है। वानिकी विशेषज्ञ ने बताया कि सीवरेज के गंदे पानी में कई प्रकार के केमिकल निर्मित हो जाते हैं जो पेड़ों के जड़ों में जाकर पहले जड़ों को गला देते हैं। फिर धीरे-धीरे पेड़ भी गल कर सूख जाता है।
तीन लाख अंकुरित पौधे भी गले नर्सरी में हो रहे जलभराव के कारण पेड़ ही नहीं अपितु अंकुरित पौधे भी गल चुके हैं। नर्सरी प्रभारी रामनिवास ने बताया कि 2025-26 सीजन के लिए नर्सरी में 3 लाख पौधों को तैयार करने के लिए मदर बेड में बीजारोपण किया गया था। जो कि अंकुरित भी चुके थे, लेकिन मानसूनी बारिश और नालों के गंदे पानी से हुए जलभराव के कारण 3 लाख अंकुरित पौधे भी गल चुके हैं। इन अंकुरित पौधों में फलदार,छायादार और फूल वाले पौधों शामिल थे। इन 3 लाख पौधों को अंकुरित करने के में समय, मेहनत के साथ एक लाख की राशि भी पानी में गल गई। अब इस सीजन के लिए दोबारा से पौधे अंकुरित किए जाएंगे।
– नालों का गंदे पानी के जलभराव के कारण नर्सरी में कुछ पेड़ सूखे हैं तो कई पेड़ आंधे की वजह से धराशायी हुए हैं। टूट चुके पौधों को काटकर नीलामी कराई जाएगी। -चेतन कुमार, डीएफओ, धौलपुर