scriptVat Savitri Vrat: दांपत्य जीवन के लिए सुखद दुर्लभ संयोग में होगी वट सावित्री पूजा, प्यार से महक उठेगी लवलाइफ | Vat Savitri Puja Shubh Yog Chandrama In Taurus Somvati Amavasya rare coincidence for married life Puja Vidhi Katha | Patrika News
त्योहार

Vat Savitri Vrat: दांपत्य जीवन के लिए सुखद दुर्लभ संयोग में होगी वट सावित्री पूजा, प्यार से महक उठेगी लवलाइफ

Vat Savitri Vrat: पति की लंबी आयु और घर की सुख समृद्धि की कामना से रखा जाने वाला व्रत वट सावित्री कल है। इस दिन कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। आइये जानते हैं किन शुभ योग में व्रत रखा जाएगा…

भारतMay 25, 2025 / 01:36 pm

Pravin Pandey

Vat Savitri Puja Shubh Yog

Vat Savitri Puja Shubh Yog: वट सावित्री पूजा शुभ योग (Photo Credit: craftyartapp.com)

Vat Savitri Vrat Shubh Yog: पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत 26 मई को है। इस दौरान सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सभी प्रकार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। खास बात यह है कि यह व्रत कुंआरी लड़कियां भी रखती हैं, बस उनकी पूजा के नियम (Vat Savitri Puja Niyam) कुछ अलग होते हैं।

संबंधित खबरें


अजमेर की ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से अमावस्या तक उत्तर भारत में और ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में इन्हीं तिथियों में दक्षिण भारत में मनाया जाता है। इस व्रत में बरगद की पूजा की जाती है।
मान्यता है कि जिस तरह बरगद का पेड़ दीर्घायु होता है, इसकी पूजा से भक्त के पति को भी उसी तरह लंबी उम्र प्राप्त होती है। वहीं शास्त्रों के अनुसार, इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। खास बात यह है कि यह व्रत इस साल दुर्लभ संयोग में पड़ रहा है। इससे इसका महत्व बढ़ गया है।

कब है वट सावित्री व्रत (Kab Hai Vat Savitri Vrat)


पंचांग के मुताबिक वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर रखा जाता है। इस साल अमावस्या 26 मई 2025 को दिन में 12:11 बजे से शुरू हो रही है। इसका समापन अगने दिन यानी 27 मई 2025 को सुबह 8:31 बजे पर होगा। ऐसे में 26 मई 2025 को वट सावित्री व्रत का व्रत रखा जाएगा।

वट सावित्री व्रत पर दुर्लभ संयोग (Rare Yoga On Vat Savtri)

वट सावित्री व्रत इस साल भरणी नक्षत्र में मनाया जाएगा जो अत्यंत शुभ है। यह योग सुबह 8:23 बजे तक रहेगा। इसके अलावा इस तिथि पर शोभन और अतिगण्ड योग का संयोग रहेगा। वट सावित्री के दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11:54 से दोपहर 12:42 तक रहेगा।

इसके अलावा ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सोमवती अमावस्या है, जो अत्यंत दुर्लभ संयोग है। इस साल दो ही सोमवती अमावस्या पड़ रही है, जिसमें से एक वट सावित्री व्रत के दिन ही है। हालांकि अमावस्या का स्नान दान 27 मई को किया जा सकेगा। इस दिन भौमवती अमावस्या रहेगी।

ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार अबकी बार 26 मई को सोमवार होने से ज्येष्ठ अमावस्या अत्यंत सौभाग्यदायक होगी। शनि जयंती वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या का विशेष संयोग सुहागिनों को यमराज के साथ शिव पार्वती का भी आशीर्वाद दिलाएगा। ऐसे में विधि विधान के साथ सुहाग की लंबी उम्र की कामना से व्रत रखने वाली महिलाओं की मनोकामना जरूर पूरी होगी।


चंद्रमा ने भी बनाया विशेष संयोग


इसके अलावा इस दिन मेष राशि में गोचर कर रहा चंद्रमा वृषभ में प्रवेश करेगा, जो सुख समृद्धि, दांपत्य और रोमांस के कारक शुक्र की राशि है। सोमवती अमावस्या, वट सावित्री व्रत पर बना यह संयोग भी व्रतियों के लिए उत्तम फलदायी है।
ये भी पढ़ेंः B Praak ने प्रेमानंद महाराज जी के बारे में बताई ये बात, आज के दौर में ऐसे संत-महात्मा…

पूजन सामग्री


ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री में सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, धूप, दीप, घी, बांस का पंखा, लाल कलावा, सुहाग का समान, कच्चा सूत, चना (भिगोया हुआ), बरगद का फल, जल से भरा कलश आदि शामिल करना चाहिए।

वट सावित्री व्रत पूजा विधि

1.प्रातःकाल घर की सफाई कर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें।

2. इसके बाद पवित्र जल का पूरे घर में छिड़काव करें।
3. बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना करें।
4. ब्रह्मा के वाम पार्श्व में सावित्री की मूर्ति स्थापित करें।

5. इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान तथा सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करें।

6. इन टोकरियों को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रखें।
7. इसके बाद धूप, दीप नैवेद्य, रोली और अक्षत अर्पित कर ब्रह्मा तथा सावित्री का पूजन करें। यम की भी पूजा करें।

8. अब सावित्री और सत्यवान की पूजा करते हुए बड़ की जड़ में पानी दें।
9. पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल तथा धूप का प्रयोग करें।

10. जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें।
11. बड़ के पत्तों के गहने पहनकर वट सावित्री की कथा सुनें।

12. भीगे हुए चनों का बायना निकालकर, नकद रुपये रखकर अपनी सास के पैर छूकर उनका आशीष प्राप्त करें। यदि सास वहां न हो तो बायना बनाकर उन तक पहुंचाएं।
13. पूजा समाप्ति पर ब्राह्मणों को या योग्य साधक को वस्त्र तथा फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करें।

14. इस व्रत में सावित्री-सत्यवान की पुण्य कथा का श्रवण करना न भूलें। यह कथा पूजा करते समय दूसरों को भी सुनाएं।

कब से हो रही है वट की पूजा


ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। दूसरी कथा के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है। मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा से घर में सुख-शांति, धनलक्ष्मी का भी वास होता है।

    सावित्री की कथा

    राजर्षि अश्वपति की एकमात्र संतान थीं सावित्री। सावित्री ने वनवासी राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को पति रूप में चुना। लेकिन जब नारद जी ने उन्हें बताया कि सत्यवान अल्पायु हैं, तो भी सावित्री अपने निर्णय से डिगी नहीं। वह समस्त राजवैभव त्याग कर सत्यवान के साथ उनके परिवार की सेवा करते हुए वन में रहने लगीं। जिस दिन सत्यवान के महाप्रयाण का दिन था, उस दिन वह लकड़ियां काटने जंगल गए और वहां बेहोश होकर गिर पड़े। उसी समय यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए।

    तीन दिन से उपवास में रह रही सावित्री उस घड़ी को जानती थीं, अत: बिना विकल हुए उन्होंने यमराज से सत्यवान के प्राण न लेने की प्रार्थना की। लेकिन यमराज नहीं माने। तब सावित्री उनके पीछे-पीछे ही जाने लगीं। कई बार मना करने पर भी वह नहीं मानीं, तो सावित्री के साहस और त्याग से यमराज प्रसन्न हुए और कोई तीन वरदान मांगने को कहा।

    सावित्री ने सत्यवान के दृष्टिहीन माता-पिता के नेत्रों की ज्योति मांगी, उनका छिना हुआ राज्य मांगा और अपने लिए 100 पुत्रों का वरदान मांगा। तथास्तु कहने के बाद यमराज समझ गए कि सावित्री के पति को साथ ले जाना अब संभव नहीं। इसलिए उन्होंने सावित्री को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया और सत्यवान को छोड़कर वहां से अंतर्धान हो गए।

    Hindi News / Astrology and Spirituality / Festivals / Vat Savitri Vrat: दांपत्य जीवन के लिए सुखद दुर्लभ संयोग में होगी वट सावित्री पूजा, प्यार से महक उठेगी लवलाइफ

    ट्रेंडिंग वीडियो