scriptCG News: पुलिस की जमीन चोरी हो गई, तनी दुकानेंकिसी को पता नहीं- कौन हैं बनाने वाले! | Police land was stolen, shops were built, nobody knows who built them! | Patrika News
गरियाबंद

CG News: पुलिस की जमीन चोरी हो गई, तनी दुकानेंकिसी को पता नहीं- कौन हैं बनाने वाले!

CG News: करोड़ों की इस बेशकीमती जमीन पर 30 दुकानों वाला कॉम्पलेक्स बनाया गया है। किसने बनाया! किसी को नहीं पता। चौंकाने वाली बात ये कि दुकानें न किराए पर दी गईं, न बेची गईं। धीरे-धीरे कॉम्पलेक्स पर भी कब्जा हो रहा है।

गरियाबंदMar 27, 2025 / 07:05 pm

dharmendra ghidode

CG News: गरियाबंद जिले के राजिम में बस स्टैंड से लगी पुलिस की 17 हजार स्क्वायर फीट जमीन चोरी हो गई। पढऩे-सुनने में अजीब, लेकिन सच है। करोड़ों की इस बेशकीमती जमीन पर 30 दुकानों वाला कॉम्पलेक्स बनाया गया है। किसने बनाया! किसी को नहीं पता। चौंकाने वाली बात ये कि दुकानें न किराए पर दी गईं, न बेची गईं। धीरे-धीरे कॉम्पलेक्स पर भी कब्जा हो रहा है।

CG News: नहीं है एक भी बोर्ड

पत्रिका पड़ताल में पता चला कि 90 के दशक में गृह विभाग राजिम पटवारी हल्का नंबर 25 के खसरा नंबर 79 में 0.1620 हैक्टर जमीन आवंटित की गई थी। ये जगह शहर के हृदय स्थल पं. सुंदरलाल शर्मा चौक से लगी हुई है। यहां पहले पानी भरा रहता था। लोकल लोग इसे ढेलु डबरी के नाम से पहचानते थे। 5 साल पहले सरकारी ठेके की शक्ल में यहां कॉम्पलेक्स बनाया गया। पूरे कैंपस में ऐसा एक बोर्ड नहीं, जो बताए कि निर्माण आखिर किस एजेंसी ने किया। नगर पंचायत स्तर पर जानकारी जुटाने से पता चला कि उन्होंने भी ऐसा प्रोजेक्ट न कभी प्लान किया, न किसी को इसकी मंजूरी दी।
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उधर, पुलिस को भी पता नहीं कि उनकी जमीन पर दुकानें किसने बनवाई और किससे पूछकर बनवाई। राजिम थाने को भी इस बारे में कभी कोई सूचना नहीं मिली। न ही उनसे किसी तरह की मंजूरी ली गई। सूत्रों के हवाले से पता चला कि कॉम्पलेक्स बनाने पर तकरीबन 80-85 लाख रुपए खर्च किए गए थे। भारी-भरकम बजट वाला यह प्रोजेक्ट अगर सरकारी है, तो जमीन एक विभाग से दूसरे विभाग को स्थानांतरित की जानी थी। राजस्व रेकॉर्ड में यह जमीन अब भी गृह विभाग की है। लैंड ट्रांसफर की कोई प्रक्रिया नहीं हुई। ये छोडि़ए, कम से कम संबंधित विभाग से मंजूरी तो ली ही जाती। यहां पुलिस को भी कुछ नहीं पता। नगर में इस तरह के विकास कार्यों के लिए जिम्मेदार पंचायत भी अनजान है! वो भी तब, जब कब्जा और निर्माण पूरे शहर के सामने खुलेआम हुआ हो।

गृहमंत्री तक शिकायत, पुलिस बोली- हस्तक्षेप अयोग्य मामला

इस मामले की शिकायत सूबे के गृहमंत्री विजय शर्मा तक भी पहुंची है। पिछले साल राजिम के सामाजिक कार्यकर्ता बलवंत राव ने होम मिनिस्टर को चि_ी लिखकर पूरे मामले की शिकायत की थी। ऊपरी दिशा-निर्देश मिले तो पुलिस ने इसे हस्तक्षेप अयोग्य मामला बताते हुए हाथ बांध लिए। उनकी भी अपनी मजबूरी है। यह राजस्व प्रकरण है। हालांकि, पुलिस ने कब्जेकी बात स्पष्ट तौर पर स्वीकार की है। बलवंत बताते हैं कि तहसीलदार से एसडीएम, एसपी, कलेक्टर, आईजी और गृहमंत्री तक मामले की शिकायत की। आज तक समाधान नहीं निकला है। वे कहते हैं कि सरकारी जमीन पर कोई संपत्ति खड़ी हो गई है, तो भले न तोड़ें। लेकिन, इसके उचित इस्तेमाल के लिए तो कोई रणनीतित बननी ही चाहिए।

थाना सड़क से एक किमी अंदर इसलिए जमीन जरूरी

राजिम में पुलिस के लिए यह जमीन इसलिए जरूरी हो जाती है क्योंकि शहर का मौजूदा थाना मेन रोड से एक किमी अंदर है। वहीं, कब्जे वाली पुलिस की जमीन शहर के बीचोबीच मेन रोड से लगी है। ऐसे में बढ़ती, घनी होती राजिम की मौजूदा आबादी और भविष्य की जरूरतों के मद्देनजर यह जमीन और कीमती हो जाती है। बात सुरक्षा की हो, तो यह लोकेशन भी काफी ज्यादा मायने रखती है। इन्हीं जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही शासन ने यह जमीन पुलिस को अलॉट की थी। फिर भी नगर के विकास, सुरक्षा और व्यवस्था के लिए जिम्मेदार पंचायत और पुलिस के अफसरों ने इस जमीन पर कब्जा नहीं रोका। न ही कब्जा हटाने के लिए आज तक कोई कार्रवाई की।

नगर पंचायत को घाटा क्योंकि टैक्स नहीं आता

बेशकीमती पर अवैध कब्जे से केवल पुलिस को नहीं, नगर पंचायत को भी तगड़ा नुकसान हो रहा है। यह जगह अगर व्यवसायिक कॉम्पलेक्स बनाने के लिए ही उपयुक्त थी तो कायदे से इसका निर्माण नगर पंचायत को करना था। यहां दुकानें बेचने या उन्हें रेंट पर चढ़ाने से पंचायत को राजस्व आता। स्थानीय बेरोजगारों या छोटे दुकानदारों को भी ये दुकानें मिल जातीं, तो उनके लिए यह उपयोगी साबित हो सकता था। अभी यहां बनी दुकानों में अवैध कब्जे हो रहे हैं। इससे नगर पंचायत या शासन को किसी तरह का कोई राजस्व नहीं मिल रहा। मतलब सीधा नुकसान। वैसे यह भी जांच का विषय है कि दुकानों में सामान रखने वाले कौन हैं और क्या इसके लिए उन्होंने किसी को पैसे दिए या महीने का भाड़ा देते हैं!

मैं पहले जानकारी निकलवा लेती हूं

इस बारे में फिलहाल जानकारी नहीं है। आप बता रहे हैं, तो पहले मैं जानकारी निकलवाती हूं। नियमानुसार आगे जो कार्रवाई होनी चाहिए, वह करेंगे।
डिंपल ध्रुव, तहसीलदार, राजिम

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