सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने धार जिले के कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। मामला धार जिले के सिविल विवाद से जुड़ा है। इसे लेकर सरकार ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में 656 दिन की देरी से अपील दायर की थी। इतनी देरी के लिए संतोषजनक जवाब न देने पर हाईकोर्ट ने अपील खारिज कर दी थी। फिर सरकार ने 177 दिन देर से शीर्ष कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की।
शासन के सुधार वाले उपायों की होगी जांच
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार (Mohan Yadav Sarkar) के रवैये पर हैरानी जताई थी। कोर्ट ने राज्य के विधि सचिव को उपस्थित होने को कहा। वे 14 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए, जवाब पेश किया। अब कोर्ट ने कथित रूप से अपील दायर करने का अनुरोध करने वाले धार कलेक्टर को तलब किया। अगली सुनवाई में कलेक्टर की उपस्थिति और सरकार के प्रस्तावित सुधारात्मक उपायों की गहन जांच की जाएगी।
कोर्ट के निर्देश और टिप्पणियां
कोर्ट ने धार कलेक्टर को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया, ताकि स्पष्ट किया जा सके कि उन्होंने अपील की सिफारिश यों की। अदालत ने राज्य सरकार को ठोस तंत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा, ताकि ऐसी अनावश्यक और विलंबित एसएलपी दायर करने की प्रवृिा रोकी जा सके। पीठ ने निर्देश दिया कि विधि सचिव सरकार के मंत्रियों व संबंधित अफसरों को अदालत की टिह्रश्वपणियों के बारे में बताएं, ताकि प्रणालीगत सुधार किए जा सकें।
कोर्ट ने विधि सचिव पर की कड़ी टिप्पणी
सुनवाई में पीठ ने सरकार के रवैये की आलोचना की। विधि सचिव से पूछा- ‘आप अफसर के साथ न्यायिक अधिकारी भी हैं। क्या आपको सरकार को देर से अपील न करने की सलाह नहीं देनी चाहिए? आपको सार्वजनिक धन की बर्बादी की चिंता नहीं होनी चाहिए?’ निर्देश दिया वह मूल फाइल पेश करें, जिसमें हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने का औचित्य दर्ज हो।
कलेक्टर पर सवाल
राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता एसवी राजू ने कहा, कलेक्टर ने विधि विभाग को अपील दायर करने पत्र लिखा था। सुप्रीम कोर्ट तर्क से संतुष्ट नहीं हुआ। पीठ ने टिप्पणी की, राज्य में प्रक्रिया अलग है, हाईकोर्ट में अपील दायर करने का निर्णय विभाग लेता है। पीएस निर्देश देते हैं। हम कलेक्टर को तलब करना चाहेंगे ताकि वे स्पष्ट कर सके कि विधि विभाग को पत्र लिखने की प्रक्रिया कैसे शुरू की।