हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने न्यूनतम पुनरीक्षण वेतन मामले में शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने सरकार को टेक्सटाइल उद्योग के श्रमिकों का न्यूनतम वेतन दो माह में निर्धारित करने को कहा है। इसके लिए मध्यप्रदेश न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड की बैठक बुलाने के निर्देश दिए। इस प्रकार टेक्सटाइल कर्मचारियों, श्रमिका का न्यूनतम वेतन अलग से तय किया जाएगा। प्रदेश में टेक्सटाइल उद्योग में करीब 4 लाख कर्मचारी, मजदूर कार्यरत हैं।
हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के इस निर्णय के बाद टेक्सटाइल उद्योग को छोड़कर अन्य सभी कर्मचारियों, श्रमिकों की अगले माह से वेतन बढ़ोत्तरी की बात कही जा रही है। इससे करीब 21 लाख आउटसोर्स कर्मचारियों, श्रमिकों को लाभ होगा।
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स यानि सीटू ने सरकार द्वारा श्रमिकों को दो श्रेणियों में बांटने का विरोध किया। सीटू के वकील बाबूलाल नागर ने कोर्ट में दलील दी कि राज्य सरकार ने स्टे समाप्त होने के बाद जनवरी 2025 इसमें संशोधन कैसे कर दिया! मजदूरों को अलग अलग श्रेणियों में कैसे बांट दिया! सीटू ने श्रमिकों के बंटवारे को गलत बताते हुए इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया।
हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में टेक्सटाइल कर्मचारियों, श्रमिकों का न केवल न्यूनतम वेतन निर्धारण करने को कहा बल्कि इसे सरकार कब से देगी, यह भी बताने को कहा है। सरकार को नियमानुसार प्रक्रिया के मुताबिक अगले दो माह में मजदूरों के न्यूनतम वेतन, ग्रेड और इसे लागू करने का समय तय करने को कहा है।
बता दें कि मध्यप्रदेश न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड ने सन 2019 में न्यूनतम वेतन 25% बढ़ाने की सिफारिश की थी। राज्य सरकार ने अप्रैल 2024 से इसे लागू कर दिया। एमपी में न्यूनतम वेतन का नोटिफिकेशन 1 अप्रैल 2024 को जारी किया गया था। श्रमिकों को बढ़ा हुआ वेतन एक माह ही मिल पाया तभी एमजी टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन की याचिका पर इंदौर हाईकोर्ट सरकार के निर्णय पर स्टे दे दिया। इसे कोर्ट ने 3 दिसंबर 2024 को हटा दिया था। तभी से सरकार पर सभी श्रमिकों को बढ़ा हुआ न्यूनतम वेतन देने का दबाव था। राज्य सरकार ने जनवरी 2025 में आउटसोर्स कर्मचारियों, मजदूरों को दो श्रेणियों में बांट दिया। इसके अंतर्गत टेक्सटाइल उद्योग के कर्मचारियों, श्रमिकों का न्यूनतम वेतन अब तय करना होगा।