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अब किसानों की बल्ले-बल्ले, शहर से लगे गांवों में बढ़ेगी जमीनों की कीमत, इन्हें होगा फायदा

Property Guideline : आमतौर पर नई गाइडलाइन में शहरी क्षेत्र के प्लॉट और मकानों की कीमत बढ़ जाती है, लेकिन गांवों पर ध्यान नहीं दिया जाता। इस बार बड़े बदलाव नजर आएंगे। 600 से अधिक गांवों की जमीनों की कीमत में इजाफा होने जा रहा है, उन्हें वास्तविक मूल्य पर लाने का प्रयास हो रहा है।

इंदौरMar 12, 2025 / 10:28 am

Avantika Pandey

Property Guideline
Property Guideline : आमतौर पर नई गाइडलाइन में शहरी क्षेत्र के प्लॉट और मकानों की कीमत बढ़ जाती है, लेकिन गांवों पर ध्यान नहीं दिया जाता। इस बार बड़े बदलाव नजर आएंगे। 600 से अधिक गांवों की जमीनों की कीमत में इजाफा होने जा रहा है, उन्हें वास्तविक मूल्य पर लाने का प्रयास हो रहा है। रजिस्ट्रार विभाग ने इसको लेकर जमीनी कसरत शुरू कर दी है। इसका सीधा फायदा उन किसानों को होगा जिनकी जमीन(Indore Property Guideline) पर सरकार योजना ला रही है, जिसके चलते अधिग्रहण होना है।
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पिछले दिनों भारतीय किसान संघ ने नेशनल हाईवे के पश्चिम व पूर्वी आउटर रिंग रोड सहित योजनाओं में भूमि अधिग्रहण के विरोध में धरना दिया था। उनका कहना था कि सरकार गाइडलाइन(Indore Property Guideline) का दोगुना मुआवजा देती है, जो बहुत कम है। वर्षों से गाइडलाइन नहीं बढ़ी, जबकि बाजार मूल्य कई गुना अधिक है। यह बात जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तक पहुंच गई, जिसका असर अप्रेल 2025 से लागू होने वाली गाइडलाइन में देखने को मिलेगा।

राजस्व की होगी बढ़ोतरी

गाइडलाइ(Indore Property Guideline)न में कीमत कम होने का सीधा असर रजिस्ट्रार विभाग पर भी पड़ता है। कई गुना अधिक कीमत पर खरीदी-बिक्री हो रही है, लेकिन कम कीमत की गाइडलाइन पर रजिस्ट्री कराई जाती है। हालांकि कुछ बड़ी कम्पनी जरूर वास्तविक मूल्य पर रजिस्ट्री कराती है। अब विभाग के राजस्व में बढ़ोतरी होगी।
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AI का है बड़ा रोल

सरकार के निर्देश पर रजिस्ट्रार विभाग ने ग्रामीण क्षेत्र की गाइडलाइन पर फोकस किया है। एआइ से गांवों की बढ़ी हुई कीमत पर रजिस्ट्रियों का डाटा इकट्ठा कर सब रजिस्ट्रारों को काम पर लगाया गया। करीब 600 लोकेशन को चिन्हित किया है, जिनकी कीमतें गाइडलाइन में बढ़ाने की तैयारी है। 20 से 154% तक की बढ़ोतरी की जाएगी।

नहीं होगा कोई भेदभाव

अब तक ऐसा होता था कि सरकार की कोई भी एजेंसी योजना प्रस्तावित करती थी तो प्रभावित गांवों की सूची रजिस्ट्रार विभाग को दे दी जाती थी। अर्थ साफ था कि उन गांवों की गाइडलाइन नहीं बढ़ाना है, जिससे किसानों को मुआवजा कब दिया जाए। किसानों के नाराज होने की एक बड़ी वजह भी यही थी, लेकिन प्रदेश सरकार ने प्रभावित गांवों की गाइडलाइन भी वास्तविक कीमत के आसपास रखने के निर्देश दिए हैं। इसका सीधा फायदा सीधे जमीन देने वाले किसानों को होगा।

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2019 में कम की थी कीमत

2013-14 से 800 से अधिक गांवों गाइडलाइन नहीं बढ़ी थी। 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ने आदेश जारी कर मप्र में गाइडलाइन की कीमत 20% कम कर दी थी। इस फेर में गांवों की भूमि की कीमत बढ़ने के बजाए कम हो गई, जो आज तक नहीं बढ़ी, जबकि जमीन का बाजार मूल्य दो से तीन गुना हो गया।

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