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जबलपुर

drinking water crisis : मप्र के इस शहर में 70 से ज्यादा बड़े तालाब, जिनमे हाथ डालने से भी डरते हैं लोग

drinking water crisis : शहर के तालाब सीवर टैंक बने हुए हैं। कई का पानी इतना गंदा की है कि दुर्गंध के कारण उनके आसपास खड़े होना मुश्किल है।

जबलपुरFeb 12, 2025 / 05:20 pm

Lalit kostha

drinking water crisis : शहर के तालाब सीवर टैंक बने हुए हैं। कई का पानी इतना गंदा की है कि दुर्गंध के कारण उनके आसपास खड़े होना मुश्किल है। माढ़ोताल, गोकलपुर, सूरजताल, गंगा सागर, मढ़फैया तालाब समेत नगर के अन्य तालाबों की भी यही स्थिति है। नर्मदा की सहायक नदी गौर और परियट भी डेयरियों के गोबर से पट रही है। नगर निगम पेयजल के लिए जिन जलस्रोतों से पानी फिल्टर प्लांटों में लेता है उनमें खंदारी जलाशय, परियट जलाशय, फगुआ नाला की तस्वीर भी चिंताजनक है। भूजलविदों के अनुसार शहर में सतही जल वाले जल स्रोतों में से 90 प्रतिशत दूषित हैं। अकेली नर्मदा नदी का जल ही ए ग्रेड का है। लेकिन गौर, परियट, हिरन नदियों व नालों से होकर नर्मदा में भी दूषित पानी मिल रहा है।

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Water body

drinking water crisis : ये भी जानना जरूरी

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drinking water crisis : सीवर प्रोजेक्ट अधूरा

जल स्रोतों में सीवेज का गंदा पानी मिलने से रोकने के लिए सीवर प्रोजेक्ट पर डेढ़ दशक से काम चल रहा है। लेकिन इस प्रोजेक्ट की गति धीमी है। अब तक महज 40 हजार के लगभग ही सीवेज कनेक्शन हो सके हैं। अभी नगर के बड़े हिस्से में अमृत 2.0 के तहत सीवर लाइन नेटवर्क तैयार किया जाना है। इसके अलावा नर्मदा में दूषित पानी मिलने से रोकने के लिए 17 करोड़ की लागत से एसटीपी प्लांट स्थापित किए गए हैं।
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drinking water crisis : सहेजना होगा सतही जल

जबलपुर की पहचान 52 तालाब व 84 तलैया और बावड़ियों वाले शहर के रूप में है। लेकिन पिछले 5 दशक में इन जलस्रोतों की जमकर उपेक्षा हुई। कुछ तालाबों का अस्तित्व तो मास्टर प्लान के प्रावधानों ने ही मिटा दिया। धीरे-धीरे वे सीवर टैंक में तब्दील हो गए। नगर में पुराने वार्डों से लेकर 10 साल पहले सीमा विस्तार से बने नए वार्डों को मिलाकर छोटे-बड़े 70 के लगभग तालाब हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इन तालाबों में 20 अरब लीटर के लगभग पानी भरा हुआ है।
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drinking water crisis : शहर के ज्यादातर इलाकों में भूगर्भीय जल लोराइड की मौजूदगी के कारण पीने योग्य नहीं है। जांच में पाया गया है कि अधिकांश तालाबों का पानी स्पर्श करने से भी बीमारी फैल सकती है। गौर, परियट नदियों समेत 90 प्रतिशत स्रोतों का जल दूषित है।
  • विनोद दुबे, भूजल विद
drinking water crisis : नगर के तालाबों की जल गुणवत्ता खराब होने का कारण उनमें सीवेज का पानी भरना है, उनकी गुणवत्ता सुधारने का मैकेनिज्म तैयार कर लिया जाए तो बड़ी जल राशि का उपयोग किया जा सकता है।
  • डॉ. पीआर देव, वैज्ञानिक

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