Liquor syndicate : जिले की शराब दुकानों के लिए पहले चरण की ठेका प्रक्रिया में एक भी आवेदन नहीं आया। अब आबकारी विभाग को दूसरा चरण अपनाना पड़ रहा है। इसमें 29 ग्रुप बनाए गए हैं। असल बात यह सामने आ रही है कि आरक्षित मूल्य में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी ठेकेदार हजम नहीं कर पा रहे। इसलिए उन्होंने मूल्य कम कराने के लिए सिंडीकेट बना लिया है। नए वित्तीय वर्ष के लिए जिले की 143 दुकानों के लिए 939 करोड़ रुपए के राजस्व का लक्ष्य रखा गया है।
Liquor syndicate : जिले की 143 कपोजिट शराब दुकानों का अब तक नवीनीकरण नहीं
शराब दुकानों के लिए नवीनीकरण और लॉटरी से आवंटन करने की प्रक्रिया अपनाई गई। इसमें नियम था कि कुल आरक्षित मूल्य का 80 फीसदी राजस्व दोनों प्रक्रियाओं के तहत आ जाता है, तो बाकी की पूर्ति ई-टेंडर के माध्यम से की जा सकती थी। लेकिन, आबकारी विभाग पोर्टल पर एक आवेदन देखने के लिए तरस गया। ऐसे में विभाग ने 250-250 करोड़ के चार ग्रुप बना दिए थे। इसमें भी एक भी आवेदन नहीं आया।
Liquor syndicate : एमआरपी से ज्यादा पर बिक्री
जिले में कुछ दुकानों में एमआरपी से कम पर बिक्री हो रही है। कुछ जगह ज्यादा कीमत ली जा रही है। आबकारी विभाग ने शारदा चौक पर अमन जायसवाल ग्रुप की दुकान में 135 रुपए की बोतल 140 रुपए में बेचते हुए पकड़ी।
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Liquor syndicate : ठेकेदारों को मना रहे अधिकारी
ई-टेंडर और नीलामी के जरिए दुकानों का आवंटन नहीं होता, तो आखिरी विकल्प है कि आबकारी विभाग का अमला संचालन करे। इस बार आवेदन के नाम पर सन्नाटा है। सूत्रों का कहना है कि ठेकेदारों को नई आबकारी नीति की खूबियों को बताकर रिझाने की कोशिश आबकारी का अमला कर रहा है। जिला समिति ने ठेकों की हालत को देखते हुए चार की जगह 29 ग्रुप बनाए हैं। सोमवार से आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई। 13 मार्च को टेंडर खोले जाएंगे।
Liquor syndicate : पहले चरण में शराब दुकानों के लिए टेंडर नहीं मिले हैं। अब दूसरा चरण अपनाया जा रहा है। इसमें पूरे जिले को 29 ग्रुप में बांटा गया है। 13 मार्च को टेंडर ओपन किए जाएंगे।