परीक्षाओं से पहले बच्चों को तनावमुक्त रखने के लिए सरकारी और निजी स्कूलों की ओर से अलग-अलग प्रयास किए जा रहे हैं। विभाग की ओर से स्कूलों को यह निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे बच्चों की पढ़ाई से अधिक मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें और इसके लिए अलग-अलग एक्टिविटी कराएं।
अभिभावकों को भी दिया जा रहा संदेश
सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं, स्कूल अभिभावकों को भी संदेश दे रहे हैं। अभिभावकों को बताया जा रहा है कि वे बच्चों को घर पर पढ़ाई का बेहतर माहौल दें और उन पर परीक्षा के दौरान दबाव न बनाएं। बच्चों को रिश्तेदारों, दोस्तों और शिक्षकों से संवाद बनाए रखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। स्कूलों का मानना है कि परिवार का सहयोग बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
समय का सही उपयोग करें
समय का सदुपयोग करने के साथ-साथ एक अच्छी योजना बनाएं। इस योजना में केवल पढ़ाई नहीं, बल्कि आराम और विश्राम के लिए भी समय निर्धारित करें। परीक्षाओं को बोझ न बनाएं
पूरी नींद लें, संतुलित आहार लें और नियमित रूप से व्यायाम करें। अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य से मानसिक स्थिति भी बेहतर रहती है, जिससे परीक्षा के दौरान अधिक ऊर्जा और ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। विफलता से डरें नहीं
विफलता जीवन का हिस्सा है। जब बच्चे इसे सीखने के अवसर के रूप में देखेंगे, तो तनाव कम होगा और वे खुद को बेहतर बना पाएंगे।
कुछ स्लोगन जो बच्चों को दिए जा रहे है
- तनाव को कहो अलविदा, आत्मविश्वास से बढ़ाओ कदम
- सोचो सकारात्मक, हर मुश्किल होगी आसान
- पढ़ाई है यात्रा, चिंता नहीं, शाति से साथ चलो
- नींद से मिलेगी ताकत, घबराओ नहीं
- मन की शांति, सफलता की कुंजी
- परीक्षा नहीं, अवसर है खुद को साबित करने का
- तनाव को छोड़ो, मेहनत को गले लगाओ
- ध्यान लगाओ, सफलता पाओ
- हर सवाल का हल है, बस सही सोच की जरूरत है।