scriptKotputli Borewell Update: 220 घंटे बाद चेतना आखिर रूला गई सभी को, लेकिन जाते-जाते सरकार को खुले बोरवेलों के लिए भी चेता गई | Chetna died after 220 hours, before leaving she warned the government about open bore wells | Patrika News
जयपुर

Kotputli Borewell Update: 220 घंटे बाद चेतना आखिर रूला गई सभी को, लेकिन जाते-जाते सरकार को खुले बोरवेलों के लिए भी चेता गई

Borewell Accidents: 220 घंटे लंबे इस रेस्क्यू ऑपरेशन ने प्रशासनिक लापरवाही और व्यवस्थागत खामियों को उजागर कर दिया। बड़ी संख्या में संसाधनों के लवाजमे से लैस यह रेस्क्यू अभियान आखिरकार निराशा के साथ, टूटी आस के साथ समाप्त हुआ।

जयपुरJan 01, 2025 / 09:44 pm

rajesh dixit

Kotputli Borewell Accident-22
कोटपूतली। निकटवर्ती किरतपुरा गांव में बडीयाली ढाणी में 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम चेतना को बचाने की जद्दोजहद दस दिनों तक चली लेकिन जब तक रेस्क्यू टीम उसे बाहर निकाल सकी, तब तक मासूम जिंदगी दम तोड़ चुकी थी। 220 घंटे लंबे इस रेस्क्यू ऑपरेशन ने प्रशासनिक लापरवाही और व्यवस्थागत खामियों को उजागर कर दिया। बड़ी संख्या में संसाधनों के लवाजमे से लैस यह रेस्क्यू अभियान आखिरकार निराशा के साथ, टूटी आस के साथ समाप्त हुआ।

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आज ही होगा पोस्टमार्टम

पुलिस अधिकारियों ने की मौत की पुष्टि के बाद पोस्टमार्टम की कार्रवाई की जा रही है। मौके पर सांसद राव राजेंद्र सिंह ,विधायक हंसराज पटेल, कलक्टर कल्पना अग्रवाल, एसपी राजन दुष्यंत सहित प्रशासनिक अमला रहा। चेतना को मोर्चरी में शिफ्ट किया। रात को ही पोस्टमार्टम किया गया। तीन डॉक्टरों का बोर्ड बनाया गया। यह जानकारी पीएमओ डॉक्टर चैतन्य रावत ने दी।

रेस्क्यू ऑपरेशन की लंबी कहानी

पहले दो दिनों तक प्लान ए के तहत एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीमों ने बोरवेल में रस्सियों और शिकंजों की मदद से चेतना को निकालने की कोशिश की लेकिन यह योजना नाकाम रही। इसके 30 घंटे बाद प्लान बी पर काम शुरू हुआ जिसमें पाईलिंग मशीन द्वारा बोरवेल के समानांतर 170 फीट गहरी सुरंग खोदी गई। भारी मशीनों और 220 घंटों के श्रम के बाद 8 फीट लंबी क्षैतिज सुरंग तैयार की गई जिससे टीम चेतना तक पहुंच पाई।

समय ने छीनी मासूम की सांसें

रेस्क्यू ऑपरेशन के 10 वें दिन जब तक बच्ची को बाहर निकाला गया तब तक वह जिंदगी की जंग हार चुकी थी। बाहर निकलते ही फैल रही दुर्गंध ने ही अनहोनी का अंदेशा दे दिया था।चेतना को तुरंत राजकीय बीडीएम जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

प्रशासन पर उठे सवाल

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान तात्कालिक फैसले लेने की देरी और प्राथमिक उपायों की विफलता ने सरकार और प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गांव के लोगों ने आरोप लगाया कि यदि ऑपरेशन में तेजी और बेहतर योजनाबद्धता होती तो मासूम की जान बचाई जा सकती थी। होरिजेंटल टनल खुदाई में जब टीम टारगेट से 2 फुट भटक गई तो लोगों ने दबी जुबान से विरोध शुरू किया।बाद में प्रशासन द्वारा स्थिति को संभाला गया और टनल खुदाई कार्य के वीडियो वायरल कर बताया गया की किन विपरीत परिस्थितियों में हम कार्य कर रहे हैं।

बढ़ती बोरवेल दुर्घटनाएं और प्रशासन को चेता गई चेतना

यह घटना केवल चेतना की नहीं, बल्कि उन मासूम जिंदगियों की कहानी है जो प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ती जा रही हैं। खुले बोरवेल बच्चों के लिए मौत के कुंए बनते जा रहे हैं, लेकिन इन पर रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
मासूम चेतना की मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। यह घटना हमें चेताती है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। प्रशासन को न केवल जिम्मेदारी लेनी होगी बल्कि यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी त्रासदी से बचा जा सके।

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