वार्डों की संख्या बढ़कर हो सकती है 150
पिछले कुछ वर्षों में सिरसी रोड, कालवाड़ रोड, दिल्ली रोड, आगरा रोड और जगतपुरा क्षेत्रों में तेजी से शहरी विस्तार हुआ है, जिसके चलते इन इलाकों में नए वार्ड जोड़े जाएंगे। परिसीमन के तहत तीन से चार वार्डों को मिलाकर एक वार्ड बनाया जाएगा। इससे वार्डों की संख्या 91 (पांच साल पहले जब दो की बजाय एक निगम था) से बढ़कर 150 हो सकती है।खाद्य सुरक्षा योजना पर बड़ी खबर, राजस्थान के 34 लाख लाभार्थियों के राशन कार्ड ब्लॉक, नहीं मिल रहा गेहूं
परकोटा में घटेगी वार्डों की संख्या
परकोटा में किशनपोल, आदर्श नगर और हवामहल विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें फिलहाल हैरिटेज नगर निगम के लगभग 25 वार्ड हैं। परिसीमन के बाद इनकी संया घटकर 10-11 हो सकती है।वार्ड बढ़ाते रहे : सीमाएं वही रहीं
1- वर्ष 1994 में जयपुर नगर निगम का गठन हुआ, लेकिन तब से सीमा नहीं बढ़ाई गई।2- वार्डों की संख्या बढ़ती रही, शुरुआती बोर्ड में 70 पार्षद थे, जबकि आखिरी बोर्ड में 91।
3- कांग्रेस सरकार ने जयपुर को दो निगमों (ग्रेटर और हैरिटेज) में बांटा, लेकिन सीमा विस्तार नहीं किया।
4- ग्रेटर में 150 और हैरिटेज में 100 वार्ड बनाए गए।
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राजनीतिक मायने…
कांग्रेस : कांग्रेस एक निगम बनाए जाने का विरोध कर रही है। पार्टी का तर्क है कि छोटे वार्ड होने से जनता की समस्याओं का समाधान बेहतर तरीके से किया जा सकता है, जबकि बड़े वार्ड बनने से असुविधाएं बढ़ेंगी। वैसे दो निगम बनाने पर हैरिटेज निगम में कांग्रेस का बोर्ड बना था।Rajasthan News : पंचायतीराज संस्थाओं के पुनर्गठन प्रक्रिया की अवधि 65 दिन बढ़ाई, आदेश जारी
नई व्यवस्था: अनुमानित स्थिति
1- वर्तमान में प्रति वार्ड जनसंख्या 7,000 से 13,000 के बीच है।2- परिसीमन के बाद प्रति वार्ड जनसंया 35,000 से 40,000 तक हो सकती है।
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एक शहर में दो निगम से समन्वय में समस्या
जयपुर शहर के विस्तार को देखते हुए नगर निगम की सीमा बढ़ाना आवश्यक माना जा रहा है। सरकार की ओर से दोनों नगर निगमों को एक करने के फैसले को प्रशासनिक दृष्टि से उचित बताया जा रहा है, क्योंकि एक शहर में दो नगर निगम होने से समन्वय की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने सियासी फायदे के लिए दो निगमों का गठन किया था। समुदाय विशेष के वार्डों को छोटा किया और हैरिटेज नगर निगम में अपना महापौर बनाया।मोहन लाल गुप्ता, जयपुर के पहले महापौर