Rajasthan Govt: सरकार ने निकायों के लिए अतिरिक्त आमदनी का खोला रास्ता, ऐसे तिजोरी में आएंगे 1500 करोड़
Rajasthan Government: राजस्थान के शहरों में आवासीय व व्यावसायिक भवनों में लीज वसूली में आ रही दिक्कत को दूर करते हुए राज्य सरकार ने निकायों के लिए अतिरिक्त आमदनी का रास्ता खोल दिया है।
जयपुर। राजस्थान के शहरों में आवासीय व व्यावसायिक भवनों में लीज वसूली में आ रही दिक्कत को दूर करते हुए राज्य सरकार ने निकायों के लिए अतिरिक्त आमदनी का रास्ता खोल दिया है। इसमें उन बिल्डर, डवलपर्स को भी दायरे में लाया गया है, जो स्वतंत्र इकाई बेचकर निकल जाते हैं और लीज राशि का भार खरीदार पर आ जाता है।
अब डवलपर्स के प्रोजेक्ट के नक्शे पास करते समय ही एकमुश्त लीज राशि ली जाएगी। जिन डवलपर्स ने कम्प्लीशन सर्टिफिकेट लिए बिना ही कब्जा दे दिया, उन्हें भी छह माह की अवधि में लीज राशि जमा करानी ही होगी। नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग ने इस संबंध में अलग-अलग आदेश जारी किए हैं। अधिकारियों के मुताबिक इससे निकायों, विकास प्राधिकरण और नगर विकास न्यासों को 1500 करोड़ रुपए अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है, जो अभी अटकी हुई थी।
इन मामलों में नोटिस जारी
कई भवनों में फ्लैट्स, दुकान, शोरूम, मॉल, कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स आदि जिस भूमि पर निर्मित किए गए हैं, उस भूमि की एकमुश्त लीज राशि बिना जमा कराए ही विभिन्न इकाइयां बेचकर खरीदारों को कब्जा भी दे दिया गया हो। निकाय की ओर से भवनों के ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट और कम्पलीशन सर्टिफिकेट भी जारी कर दिए गए। ऐसे सभी मामलों में अभी बिल्डर को ही लीज राशि जमा करानी होगी
इस तरह किया स्पष्ट
-जिन मामलों में अनुमोदित भवन मानचित्र जारी किया जाना है, उनमें पहले एकमुश्त लीज राशि जमा करानी होगी या फ्री होल्ड पट्टा लेना होगा। इसके बाद ही भवन मानचित्र जारी किए जाएंगे।
-ऐसे मामले जिनमें भवन मानचित्र तो जारी किए जा चुके हैं, लेकिन कम्पलीशन सर्टिफिकेट या ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है, उनमें भी एकमुश्त लीज राशि या फ्री होल्ड पट्टा लेना होगा। इसके बाद ही सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।
-कुछ मामलों में दोनों सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं या सर्टिफिकेट जारी किए बिना ही इकाइयों का बेचान कर उनका कब्जा सुपुर्द किया जा चुका है। संबंधित बिल्डर को निकाय की ओर से आगामी छह महीने में भूखंड संबंधित विकास समिति को हस्तांतरित करने के लिए निर्देशित किया जाएगा। भूखंड के हस्तांतरण के बाद लीज राशि विकास समिति से वसूली जाएगी।
निकायों को पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि वे आर्थिक सहयोग के लिए बेवजह सरकार की तरफ नहीं देखें। निकायों को केन्द्र, राज्य सरकार से आर्थिक सहायता मिलने की उम्मीद रहती है। आगे इस उम्मीद में किसी भी तरह के कार्यादेश जारी नहीं किए जाएं। अपनी आय बढ़ाने के नए स्रोत तैयार करें।