प्रधानमंत्री मोदी की यह नीति भारत को आतंकवाद के खिलाफ एक सशक्त, आत्मविश्वासी और निर्णायक राष्ट्र के रूप में स्थापित कर रही है। भारत की नई सुरक्षा नीति ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के आतंकवाद के नेटवर्क को उजागर किया है और उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अलग-थलग किया है। भारत के रुख ने वैश्विक शक्तियों को यह सोचने पर मजबूर किया है कि आतंकवाद को किसी भी प्रकार से प्रायोजित करने वाले देशों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इस डॉक्ट्रिन ने पाकिस्तान के आतंकवादियों को अब केवल एक ‘आतंकी समूह’ के रूप में नहीं देखा, बल्कि इसे राज्य-प्रायोजित आतंकवाद के रूप में माना गया। भारत ने यह साबित किया है कि वह पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादियों के खिलाफ सामरिक कार्रवाई करेगा। इससे भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को वैश्विक स्तर पर समर्थन मिला है और यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में भारत किसी भी प्रकार के नरम रवैये को बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत की यह नीति पाकिस्तान और अन्य देशों को यह संदेश देती है कि अगर कोई देश आतंकवाद को बढ़ावा देता है या इसे शरण देता है, तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे। यह एक मजबूत और निर्णायक दृष्टिकोण है, जो किसी भी प्रकार के आतंकवाद या सुरक्षा खतरे का सामना करने के लिए भारत को तैयार करता है।
भारत की कूटनीति में भी महत्त्वपूर्ण बदलाव आया है। मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ बातचीत और व्यापार को रोकने का निर्णय लिया है। इस निर्णय ने भारत के समक्ष आतंकवादियों और उनके संरक्षकों के खिलाफ और भी सख्त कदम उठाने की अनुमति दी है। भारत का यह दृष्टिकोण उसे वैश्विक मंच पर एक सशक्त स्थिति में रखता है, जिससे वह आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर सकता है। यह डॉक्ट्रिन पाकिस्तान द्वारा किए गए परमाणु धमकियों के खिलाफ भी एक ठोस जवाब है। भारत ने यह साबित किया कि उसे परमाणु हथियारों का डर नहीं है और वह किसी भी प्रकार के आतंकी हमलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में सक्षम है।
सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक ने यह साबित कर दिया है कि भारत किसी भी आतंकी हमले के खिलाफ अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिए तैयार है। मोदी की इस आतंकवाद विरोधी नीति ने भारत को एक नया रूप दिया है। यह नीति न सिर्फ पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई है, बल्कि भारत की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा करने की प्रतिबद्धता भी है। भारत ने यह संदेश दिया है कि वह अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे को नकारने के लिए तैयार है, चाहे वह पाकिस्तान हो या कोई अन्य देश। भारत के सैन्य संचालन ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि वह आतंकवादियों को सीमा पार से निशाना बनाने में सक्षम है और इसने वैश्विक शक्तियों को यह अहसास दिलाया है कि आतंकवाद के खिलाफ कोई भी जवाबी कार्रवाई वैध हो सकती है।
अब भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपनी सुरक्षा नीति को मजबूत करने के लिए और अधिक वैश्विक समर्थन मिल रहा है। यह डॉक्ट्रिन केवल एक रक्षा नीति नहीं, बल्कि भारत की सामरिक पहचान और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति उसका दृष्टिकोण है। मोदी सरकार ने साबित कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के लिए भारत को संकोच नहीं होगा। आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में भारत कोई भी कड़ी कार्रवाई करने के लिए तैयार है। यह नीति देश के सुरक्षा परिप्रेक्ष्य को बदलते हुए वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ मजबूत और निर्णायक नेता के रूप में स्थापित करती है। मोदी की आतंकवाद विरोधी नीति न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि अन्य आतंकवाद प्रायोजित देशों के लिए भी एक चेतावनी है कि अब और कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।