अवैध शराब बनाने और बेचे जाने के बढ़ते मामले जहां एक तरफ शराब माफिया और आबकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के बीच चल रही सांठ-गांठ को दर्शाते हैं, वहीं दूसरी तरफ सूचना तंत्र को मजबूत बनाए जाने की जरूरत का अहसास भी कराते हैं। अवैध शराब बनाने और बेचने वालों की धरपकड़ के लिए सूचना तंत्र को मजबूत बनाए जाने तथा मिलीभगत करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने जैसे उपाय कर अवैध शराब की रोकथाम संभव हो सकती है।
-वसंत बापट, भोपाल
सरेआम बिकती अवैध शराब पर सख्त कानून और नियमित छापेमारी से ही नियंत्रण संभव है। पुलिस और प्रशासन की निगरानी बढ़ाने के साथ ही दोषियों को कठोर सजा दी जाए। इस पर नियंत्रण के लिए स्थानीय निकायों को अपने क्षेत्र में ऐसी गतिविधियों को न पनपने देने के प्रति जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। ग्राम व शहरी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान और युवाओं के लिए नशामुक्ति केंद्र और रोजगार के विकल्प बढ़ाए जाएं। – अमृतलाल मारू ‘रवि’ इंदौर
अवैध शराब निर्माण में मेथनॉल अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है, जिसे स्थानीय अवैध शराब निर्माता ऑनलाइन और ऑफलाइन खरीदी करते हैं। अवैध शराब का निर्माण और चोरी छिपे बिक्री स्थानीय भ्रष्ट पुलिस कर्मियों की मिलीभगत के कारण होता है। अवैध शराब की कीमत कम होती है, जिसकी सप्लाई आमदनी के लालच में बेरोजगार युवक अधिक करते हैं। – डॉ. मुकेश भटनागर, भिलाई
पुलिस को जैसे ही अवैध शराब बनाने वालों के ठेके का पता चलता है तो उन्हें त्वरित छापा मारकर संबंधित लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। अवैध शराब की बिक्री पर रोक और दण्ड देने का प्रावधान होना चाहिए। साथ ही, लोग भी जागरुक रहें और अपने आसपास के इलाके में यदि अवैध शराब बनाने की फैक्ट्री देखें या लोगों को उसका सेवन करते देखें तो तुरंत पुलिस टोल फ्री नंबर पर पुलिस को सूचना दें। – विभा गुप्ता, बेंगलूरु