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जयपुर

Rajasthan: नदियों का मैला होता आंचल, सीवरेज और कचरे से पीने तो दूर नहाने लायक भी नहीं बचा पानी, रिपोर्ट में खुलासा

राजस्थान में हमेशा बहने वाली चंबल नदी का पानी भी नहाने लायक नहीं है। जयपुर की कानोता नदी का पानी तो किसी काम का ही नहीं है। इसमें बीओडी की मात्रा तय मानकों से सात गुना अधिक है।

जयपुरJul 08, 2025 / 08:21 am

Arvind Rao

Rajasthan Rivers Choked

नदियों में बह रहा गंदा पानी (फोटो- पत्रिका)

गिर्राज शर्मा
जयपुर:
बढ़ते शहरीकरण ने प्रदूषण को बढ़ाया है और अब इसका असर प्रदेश को पीने और सिंचाई के लिए जल प्रदान करने वाली नदियों पर भी पड़ने लगा है। पिछले दिनों राजस्थान राज्य प्रदूषण मंडल की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है, जिससे पता लगता है कि हमने अपनी जरुरतों को पूरा करने में नदियों का आंचल ‘मैला’ कर दिया है।

नदियों में जा रहे सीवरेज के पानी और कचरे ने इसे दूषित बना दिया है। इससे नदियों का पानी पीना तो दूर नहाने लायक भी नहीं बचा है। शहरों के पास से गुजर रही नदियों की स्थिति सबसे अधिक खराब है। सिर्फ बनास को छोड़कर प्रदेश की एक भी नदी का पानी पीने लायक नहीं है। कई नदियों का पानी तो नहाने लायक भी नहीं बचा है।


पानी की गुणवत्ता की जांच


राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल प्रदेश की 13 नदियों में 27 जगहों पर पानी की गुणवत्ता की जांच करवाई है। इसमें प्रदेश की सभी नदियों के पानी में बैक्टीरिया यानी बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा अधिक मिली है। प्रदेश की किसी भी नदी का पानी सीधे पीने लायक नहीं है। जबकि बनास, कोठारी, जवाई और लूनी नदी को छोड़कर किसी भी नदी का पानी नहाने लायक भी नहीं है।


खाद्य श्रृंखला भी प्रदूषित


विशेषज्ञों के अनुसार, शहरों से निकलने वाला गंदा पानी, औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला प्रदूषित जल और सीवरेज का पानी नदियों को प्रदूषित कर रहा है। इससे नदियों के आसपास का भूजल भी प्रदूषित हो रहा है, जिससे लोगों की खाद्य श्रृंखला भी प्रभावित हो रही है।


पानी को ट्रीटकर छोड़ने की जरूरत


नदियों में बीओडी की मात्रा कचरा-गंदगी, घरों से निकलने वाले गंदे पानी व सीवरेज से बढ़ रही है। औद्योगिक प्रदूषित जल भी बिना ट्रीटमेंट के नदियों में जा रहा है। चंबल जैसी बारहमासी नदियां भी प्रदूषित हो रही है। आवश्यकता है गंदे पानी को ट्रीटकर नदियों में छोड़ा जाएं।
-डॉ. विजय सिंघल, पूर्व मुख्य पर्यावरण अभियंता, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल


कैंसर जैसी बीमारी होने की आशंका


बीओडी या कैमिकल युक्त पानी पीने से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है, इससे भूख लगना कम हो जाती है। वहीं इंफेक्शन की समस्या बढ़ जाती है। पेयजल में कैमिकल अधिक होने से कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती है।
-डॉ. हेमेन्द्र भारद्वाज, उदररोग विशेषज्ञ, एसएमएस जयपुर


ये हैं तय मानक


-श्रेणी ए-पीने का पानी (फिल्टर के बाद)-2 मिग्रा प्रतिलीटर से कम
-श्रेणी बी-नहाने के लिए-3 मिग्रा प्रतिलीटर से कम
-श्रेणी सी-ट्रीटमेंट के बाद पेयजल लायक-3 मिग्रा प्रतिलीटर से कम


किस नदी में कितना बैक्टीरिया


-बनास 1.6
-लूणी 2.0
-जवाई 2.0
-कोठारी 2.8
-चंबल 3.1
-पिपलाज 3.1
-बेड़च 3.1
-खारी 3.4
-हेमावास 4.1
-गंभीरी 4.1
-गुवारड़ी 5.4
(2024 की रिपोर्ट)

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