विज्ञान शाह ने कोर्ट में दी ये दलीलें
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि हम SI भर्ती परीक्षा को लेकर निर्णय लेने ही वाले थे, लेकिन मामला कोर्ट में पहुंच गया, जिससे प्रक्रिया रुक गई। उन्होंने कहा कि हम निर्णय प्रक्रिया में थे, लेकिन याचिकाकर्ताओं की वजह से मामला न्यायालय के अधीन हो गया। उनका कहना था कि जब मामला कोर्ट में पहुंच गया, तो सरकार किसी भी तरह का एक्शन नहीं ले सकी। विज्ञान शाह ने अदालत में दलील दी कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर थी और इसकी जांच के लिए SIT गठित की गई थी। उन्होंने बताया कि नवंबर में नई सरकार बनी और 16 दिसंबर को SIT के गठन का आदेश जारी कर दिया गया। उन्होंने कहा कि SIT के लिए वीके सिंह को इसलिए चुना गया क्योंकि वे तकनीकी मामलों की अच्छी समझ रखते हैं और बेहतरीन अधिकारियों में से एक हैं। उन्हें इस मामले की जांच के लिए पूरी तरह सक्षम बनाया गया।
पिटीशन को कौन स्पॉन्सर कर रहा है?
वहीं, सरकार की मंशा पर सवाल उठाने को लेकर विज्ञान शाह ने कहा कि इस याचिका को कौन स्पॉन्सर कर रहा है? याचिकाकर्ता गलत मंशा के साथ कोर्ट में आए हैं और उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां छिपाई हैं। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि अगर इस मामले में RPSC के सदस्य शामिल पाए जाते हैं, तो सरकार के लिए यह जानना जरूरी है कि और कहां-कहां गड़बड़ी हुई।
बताते चलें कि गुरुवार को चली लंबी बहस के बाद हाईकोर्ट ने अब इस मामले में शुक्रवार को भी सुनवाई जारी रखने का फैसला किया है। SI भर्ती परीक्षा 2021 रद्द होगी या नहीं, इस पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं आया है, लेकिन कोर्ट में लगातार इस पर बहस जारी है।
क्या है SI भर्ती पेपर लीक मामला?
गौरतलब है कि साल 2021 में आयोजित राजस्थान सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। जांच में सामने आया कि फर्जी अभ्यर्थियों को डमी कैंडिडेट के रूप में बिठाया गया। नौकरी पाने के लिए फर्जीवाड़ा किया गया। इस मामले में SOG ने अब तक 50 ट्रेनी SI को गिरफ्तार किया, जिनमें से 25 को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।