इन आयोगों की समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन कई आयोगों में लंबे समय से अध्यक्ष के अभाव में सुनवाई नहीं होने से पीड़ितों ने वहां जाना ही बंद कर दिया है।
इस आयोगों का ऐसा हाल
राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग: पिछली सरकार ने जिसे अध्यक्ष बनाया, उसके पदभार नहीं संभालने के कारण पद खाली है। आयोग आदिवासियों सहित सभी जनजातियों के विषयों पर सुनवाई करता है। राजस्थान लोक सेवा आयोग: अध्यक्ष व एक सदस्य का पद खाली, एक सदस्य पेपरलीक मामले में जेल में होने के कारण निलम्बित है। राज्य अनुसूचित जाति आयोग: विधानसभा चुनाव से ठीक पहले खिलाड़ी लाल बैरवा के इस्तीफा देने के कारण अध्यक्ष पद वर्ष 2023 से खाली।
राज्य महिला आयोग: अध्यक्ष का कार्यकाल इसी सप्ताह पूरा हो गया। आयोग में महिलाओं की ढाई हजार से अधिक शिकायतें लंबित है, जिनकी अब सुनवाई अटक गई। राज्य वित्त आयोग: संवैधानिक प्रावधानों के तहत शहरी निकायों व पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय संसाधन मुहैया कराने के लिए इसका गठन किया जाता है। वर्तमान सरकार ने गठन ही नहीं किया।
राज्य विशेष योग्यजन आयुक्त: आयुक्त का इसी सप्ताह कार्यकाल पूरा हो गया। आयुक्त को न्यायालय के रूप में सुनवाई का अधिकार है। राज्य आर्थिक पिछड़ा आयोग/बोर्ड: अध्यक्ष पद खाली। सुनवाई के लिए पहले आयोग बनता रहा, पिछली सरकार ने बोर्ड बनाया।
राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग: अध्यक्ष पद खाली, अब सदस्य ही रह गए राज्य सूचना आयोग: सूचना आयुक्त के एक पद के लिए आवेदन जमा हो चुके हैं, लेकिन चयन समिति की बैठक नहीं हुई है।
राज्य अल्पसंख्यक आयोग : अध्यक्ष रफीक खान का कार्यकाल 16 फरवरी को पूरा हो जाएगा।
हाईकोर्ट ने लिया था प्रसंज्ञान
मुखिया नहीं होने से आमजन की परेशानी देखते हुए एक दशक पूर्व हाईकोर्ट को स्वत: जनहित याचिका दर्ज करनी पड़ी थी। हाईकोर्ट ने आयोग में अध्यक्षों-सदस्यों की जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर सार्वजनिक करने का आदेश दिया था। चयन प्रक्रिया पर भी सवाल
कई आयोगों में चयन के लिए कोई स्पष्ट मापदंड नहीं होने से कई बार इन आयोगों में नियुक्ति पर सवाल भी उठते रहे हैं।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग
पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव से पहले संगीता बेनीवाल ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। शीर्ष पद खाली होने के कारण बच्चों से जुड़े मामलों की मॉनिटरिंग नहीं हो रही। बच्चों के संरक्षण से संबंधित समस्याओं को लेकर हाईकोर्ट ने प्रसंज्ञान लेकर स्वत: जनहित याचिका दर्ज की।