310 प्रजातियों के 675 पौधे.. शुद्ध जैविक विधि से संरक्षित
समिति संयोजक लीलाधर डलोरा ने बताया कि वर्ष 2013 में उपवन की नींव रखी गई थी। 2019 से इसे सघन पौधरोपण योजना के तहत विकसित किया गया। कल्पवृक्ष, चंदन, महोगनी, रक्त रोहन, आंवला, बहेड़ा, सीता अशोक, जामुन, रेन ट्री, सुल्तान चंपा जैसे पौधे यहां जैविक खाद, जीवामृत व गोकृपा-अमृतम् से पोषित किए जा रहे हैं। अब तक 675 से अधिक पौधे रोपे जा चुके हैं, जिनकी सुरक्षा के लिए ड्रिप सिस्टम, बाड़बंदी और छायादार ढांचे लगाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि यहां एक बार भी रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं हुआ है।
सरकार की ही नहीं, सभी की जिम्मेदारी
खत्री समाज के मंत्री अमरचंद कीरी ने बताया कि अब केवल सरकार की नहीं, समाज की भी जिम्मेदारी है हरियाली लाने की। हर मोहल्ला, मुक्तिधाम और बगीचा अब पौधरोपण का केंद्र बनना चाहिए। रतासर विकास समिति के अध्यक्ष निम्बराज डलोरा का कहना है कि समाज में पर्यावरण को लेकर नया सोच पैदा हुआ है। यह काम अब हर साल और विस्तार से करेंगे। समाज के सदस्य पुरुषोत्तम बिछड़ा ने बताया कि हमने इस उपवन को बढ़ते देखा है, अब यह जैसलमेर के लिए एक मॉडल बन गया है। आने वाली पीढ़ियों के लिए यह धरोहर है।पौधरोपण कार्यक्रम में चंद्रप्रकाश दड़ा व नक्श डलोरा ने सहभागिता की।