गेमन पुल अब 55 साल का हो चुका है। चांपा और जांजगीर नगर को जोड़ने वाला एकमात्र पुल होने से लोगों की चिंता भी बढ़ती जा रही है। विभाग भी इसको लेकर काफी चिंतित हैं।
40 करोड़ का भेजा प्रस्ताव, मंजूरी नहीं
नए गेमन पुल के लिए 2015–16 में 40 करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर लगातार पत्राचार बीते साल तक विभाग ने किया है पर इस पर स्वीकृति नहीं मिली। लगातार पत्राचार करने के बाद भी ध्यान नहीं देने पर सेतु विभाग भी अब ध्यान नहीं दे रहा हे। इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री
भूपेश बघेल ने भेंट मुलाकात के दौरान 2022 अक्टूबर माह में सिवनी पहुंचे थे। जहां गेमन पुल के बगल में ही एक नए पुल के लिए घोषणा की थी। मुख्यमंत्री के घोषणा को भी अफसर हल्के में ले रहे हैं। इसी कारण आज तक हसदेव नदी में नए पुल की मंजूरी तक नहीं मिल सकी है। इसकी बढ़ती उम्र कहीं दुर्घटना का कारण न बन जाए, यह चिंता अफसरों को हर वक्त सताते रहती है।
जांजगीर व चांपा को आपस में जोड़ने के लिए 1962 में इसकी नींव रखी थी। 1970 में हसदेव नदी पर गेमनपुल का निर्माण पूरा हुआ। अब पुल 55 साल पुराना हो गया है। इसके बावजूद उच्चाधिकारी साथ ही राज्य सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। शायद उसको भी गुजरात पुल हादसे का इंतजार है। जल्द इस दिशा में ध्यान नहीं दिया गया तो गुजरात के वड़ोदरा पुल हादसा जांजगीर में भी दोहराया जा सकता है। ऐसे में अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या देश में आम आदमी का जिंदगी का कोई मोल नहीं है।
पुल के ऊपर मवेशियों का जमावड़ा
चांपा के गेमन पुल में दूसरी बड़ी समस्या मवेशियों का जमावड़ा है। पूरे शहर के लोग अपने मवेशियों को आवारा छोड़ देते हैं। ऐसे मवेशी पुल के ऊपर ही अपना ठिकाना बना लेते हैं। इससे आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं रेलिंग भी टूटी फूटी हुई है। सड़क की मरम्मत कुछ दिनों पूर्व की गई है। इसके चलते ज्यादा परेशानी नहीं हो रही है। लेकिन आवारा मवेशियों के जमावड़े ने लोगों को काफी परेशान कर रखा है। नगर के लोगों का कहना है कि नगरपालिका भी इसके लिए जिम्मेदार है। क्योंकि नगरपालिका के कर्मचारियों को ऐसे आवारा मवेशियों को लगाम लगानी चाहिए।
पुल बनते समय हसदेव नदी में आ गई थी बाढ़
पुल के निर्माण कार्य की शुरूआत तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री बीडी महंत के कार्यकाल में हुआ था। अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कैलाश नाथ काटजू ने पुल की नींव रखी थी। पुल का निर्माण कार्य होने में 7 साल से अधिक समय लगा था। जिसका लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल ने की थी। चांपा व जांजगीर को जोड़ने वाला यह प्रमुख पुल है। चांपा के बुजुर्गो की मानें तो पुल बनने के समय हसदेव नदी में बाढ़ आ गया था। इससे सारा सामान बह गया था। इसी कारण इस पुल के बीच के पिलर को बढ़ा दिया गया था। इससे यह पुल बीच में थोड़ा ऊपर धनुष आकार का है। हसदेव नदी में आवागमन के लिए अभी एकमात्र गेमन पुल है। इसके कमजोर होने से नए पुल के लिए फिर से 7 माह पहले प्रस्ताव भेजा जा चुका है। लेकिन अब तक मंजूरी नहीं मिली है। बाकी मेंटनेंस एनएच विभाग के द्वारा की जाती है। – एचसी वर्मा, एसडीओ, सेतु विभाग