घटना के संबंध में पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रार्थिया तेरेसा तिग्गा उम्र 55 वर्ष, निवासी कुल्हुडीपा, चौकी मनोरा ने चौकी आकर रिपोर्ट दर्ज कराया कि उसका पुत्र मृतक अश्विन तिग्गा शाम 7 बजे के करीबन अपने साथियों के साथ निकला था, जो कि रात्रि में घर वापस नहीं लौटा। अगले दिन सुबह से ही प्रार्थिया के द्वारा अपने पुत्र की पतासाजी की जा रही थी कि, इसी दौरान उसे पता चला कि उसके पुत्र अश्विन तिग्गा का गांव के ही सुरेश कुजूर के साथ किसी बात को लेकर वाद विवाद हुआ था, जिससे कि आवेश में आकर आरोपी सुरेश कुजूर ने उसके पुत्र की हत्या कर दी है।
जांच में जुटी पुलिस
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए चौकी मनोरा पुलिस के द्वारा घटना के संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अवगत कराते हुए, चौकी मनोरा में बीएनएस की धारा 103-3 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर जांच विवेचना में लेकर तत्काल घटना स्थल रवाना होकर घटना स्थल का निरीक्षण कर शव का पंचनामा कराया गया। प्रथम दृष्टिया मामला हत्या का प्रतीत होने पर डॉक्टर से पोस्टमार्टम कराया गया। डॉक्टर की रिपोर्ट में मृत्यु हत्यात्मक बताने पर पुलिस के द्वारा उक्त संबंधित धारा में अपराध पंजीबद्ध कर जांच विवेचना में लिया गया। पुलिस के द्वारा
हत्या में प्रयुक्त टांगी कुल्हाड़ी को भी आरोपी के कब्जे से जप्त कर लिया गया है। मामले में आरोपी सुरेश कुजूर के द्वारा अपराध स्वीकार करने व अपराध सबूत पाए जाने पर विधिवत गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया है।
खलिहान में आग लगाने से आपा खो बैठा आरोपी
विवेचना दौरान पुलिस के द्वारा प्रार्थिया की रिपोर्ट के आधार पर प्रथम संदेही आरोपी सुरेश कुजूर को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की गई। आरोपी सुरेश कुजूर के द्वारा अपराध स्वीकार करते हुए बताया गया कि घटना दिनांक को मृतक अश्विन तिग्गा अपने साथियों के साथ एक पारिवारिक बात को लेकर उसके घर वाद-विवाद कर रहा था। इस दौरान आरोपी सुरेश कुजूर ने मृतक अश्विन एक्का को समझा बुझा कर घर वापस जाने बोला। कुछ समय पश्चात आरोपी सुरेश कुजूर का छोटा भाई आकर उसे बताया कि उसके खलिहान की पैरावट में किसी ने आग लगा दिया है। जिस पर आरोपी सुरेश कुजूर के द्वारा घर में रखी टांगी कुल्हाड़ी को लेकर खलिहान की तरफ गया, जहां अश्विन तिग्गा के मिलने पर उससे पैरावट में लगी आग को लेकर वाद विवाद होने पर आरोपी सुरेश कुजूर ने गुस्से में आकर अश्विन तिग्गा की जांघ में अपने पास रखी टांगी से दो बार हमला कर दिया। जिससे कि पैर के कटने से अत्यधिक रक्तश्राव के कारण अश्विन तिग्गा की मृत्यु हो गई।