हाईकोर्ट ने दिए दिशा निर्देश
न्यायाधीश अरुण मोंगा की एकल पीठ ने कहा कि यदि किसी कर्मचारी को अनुशासनात्मक कार्यवाही के विचाराधीन होने के कारण निलंबित किया जाता है तो 30 दिनों के भीतर आरोप पत्र या कारण बताओ
नोटिस जारी किया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो केवल 30 दिनों का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है, बशर्ते इसके ठोस कारण दर्ज किए जाएं और कर्मचारी को इसकी सूचना दी जाए।
हाईकोर्ट ने निलंबन का आदेश किया रद्द
पीठ ने लंबी अवधि से निलंबित चार कर्मचारियों की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए उनके निलंबन आदेश रद्द कर दिए और सरकार को निर्देश दिया कि 30 दिनों के भीतर उन्हें बहाल किया जाए। प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का उलल्लंघन
किसी कर्मचारी को बिना ठोस कारण के लंबे समय तक निलंबित रखा जाता है तो यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह इन दिशा-निर्देशों को सभी विभागों में लागू करे।