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कलेक्टर ने परीक्षा में समय प्रबंधन का महत्व बताया, सफलता के छह सूत्र सुझाए

10 वीं की बोर्ड परीक्षा 27 फरवरी से और बारहवीं की 25 फरवरी से शुरू होने जा रही है। परीक्षाओं की तैयारी को लेकर कुछ छात्रों की रातों की नींद उड़ गई है, तो कुछ पढ़ाई के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं। इस तरह के तनाव से गुजर रहे विद्यार्थियों को कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने समय प्रबंधन कर पढ़ाई में संतुलन बनाए रखने की सलाह दी है। उन्होंने बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को छह महत्वपूर्ण टिप्स दिए हैं।

खंडवाFeb 15, 2025 / 12:17 pm

Deepak sapkal

कलेक्टर ऋषव गुप्ता

प्रति दिन छह घंटे की पढ़ाई

  • हमें तनाव से बाहर आने के लिए पढ़ाई के घंटे बढ़ाने होंगे। आमतौर पर देखा जा रहा है कि छात्र स्कूल के अलावा केवल दो से तीन घंटे ही पढ़ते हैं। जबकि इस समय हमें परीक्षा खत्म होने तक रोजाना कम से कम छह घंटे पढ़ना चाहिए। स्कूल के समय के अलावा हमें इतना समय पढ़ाई के लिए देना होगा।

एक-एक अंक महत्वपूर्ण

यह परीक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। इसका एक-एक अंक मायने रखता है। अगर हम 20 साल बाद भी कहीं नौकरी के लिए जाएंगे, तो दसवीं की मार्कशीट ही हमारा आयु प्रमाण पत्र होगी। यह हमेशा जांची जाएगी और इसके आधार पर ही हमारी नौकरी लगेगी या नहीं. यह बहुत मायने रखता है।

लिख-लिख कर अभ्यास

इस समय खेलकूद की गतिविधियों को कम कर दें। अप्रैल के महीने में जितना चाहें खेल सकते हैं, लेकिन अभी पूरा ध्यान पढ़ाई पर केंदित करें। इस समय लिख-लिख कर अभ्यास करें। अगर आपको लगता है कि कोई विषय हमें आ गया है, तो भी उसे लिखकर प्रैक्टिस करनी चाहिए। यह परीक्षा के समय फायदेमंद होगा।

विषयवार प्लानिंग

विषयवार प्लानिंग करने की जरूरत है। जिस विषय में हम कमजोर हैं, उसे अधिक पढ़े। हर छात्र को पता होता है वह किस विषय में कमजोर है। आमतौर पर देखा जाता है कि छात्र उस विषय को कम पढ़ते हैं, जिसमें उनकी रुचि नहीं होती. लेकिन अब उल्टा करने की जरूरत है। हमें उस विषय को अधिक समय देना चाहिए।

समयसीमा का ध्यान

मॉडल टेस्ट पेपर, पिछले साल के प्रश्नपत्र और सैंपल पेपर को हल करने का अभ्यास करें। अगर परीक्षा तीन घंटे की है. तो हमें इन्हें ढाई घंटे में हल करने का प्रयास करना चाहिए। अगर हम अभी से समय सीमा से आधे घंटे कम में प्रैक्टिस कर लेंगे, तो परीक्षा के दिन भी हमारा पेपर समय पर पूरा हो जाएगा।

घूमने-फिरने का समय नहीं

यह समय घूमने-फिरने का नहीं है। अभी हमें कहीं भी, चाहे वह मामा, 6 चाचा, ताई, दादा-दादी या नाना-नानी के यहां जाने की जरूरत नहीं है। परीक्षा का यह डेढ महीना पूरी तरह से पढ़ाई पर केंद्रीत होना चाहिए। इन दिनों में हमें केवल पढ़ाई करने की आवश्यकता है।

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