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कोलकाता: रचनात्मकता के जरिए छात्राओं को मोबाइल फोन की लत से दूर रखने की पहल

कोलकाता महानगर के संतोषपुर स्थित सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल छात्राओं को मोबाइल फोन की लत से दूर करने के लिए बेकार की सामग्रियों से आभूषण बनाने का गुर सिखा रहा है। संतोषपुर ऋषि अरविंद बालिका विद्यापीठ की छात्राएं अपशिष्ट सामग्रियों से आकर्षक आभूषण बना भी रही हैं। स्कूल की प्रधानाध्यापिका सारवनी सेन ने बताया कि इसका उद्देश्य छात्राओं को रचनात्मक रूप से जोड़े रखना और उन्हें हर समय मोबाइल फोन की लत से दूर रखना है।

कोलकाताDec 25, 2024 / 03:52 pm

Rabindra Rai

कोलकाता महानगर के संतोषपुर स्थित सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल छात्राओं को मोबाइल फोन की लत से दूर करने के लिए बेकार की सामग्रियों से आभूषण बनाने का गुर सिखा रहा है। संतोषपुर ऋषि अरविंद बालिका विद्यापीठ की छात्राएं अपशिष्ट सामग्रियों से आकर्षक आभूषण बना भी रही हैं। स्कूल की प्रधानाध्यापिका सारवनी सेन ने बताया कि इसका उद्देश्य छात्राओं को रचनात्मक रूप से जोड़े रखना और उन्हें हर समय मोबाइल फोन की लत से दूर रखना है।

कोलकाता महानगर के संतोषपुर स्थित सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल छात्राओं को मोबाइल फोन की लत से दूर करने के लिए बेकार की सामग्रियों से आभूषण बनाने का गुर सिखा रहा है। संतोषपुर ऋषि अरविंद बालिका विद्यापीठ की छात्राएं अपशिष्ट सामग्रियों से आकर्षक आभूषण बना भी रही हैं। स्कूल की प्रधानाध्यापिका सारवनी सेन ने बताया कि इसका उद्देश्य छात्राओं को रचनात्मक रूप से जोड़े रखना और उन्हें हर समय मोबाइल फोन की लत से दूर रखना है।

बेकार सामग्री से आभूषण बनाने के गुर सिखा रहा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल

कोलकाता महानगर के संतोषपुर स्थित सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल छात्राओं को मोबाइल फोन की लत से दूर करने के लिए बेकार की सामग्रियों से आभूषण बनाने का गुर सिखा रहा है। संतोषपुर ऋषि अरविंद बालिका विद्यापीठ की छात्राएं अपशिष्ट सामग्रियों से आकर्षक आभूषण बना भी रही हैं। स्कूल की प्रधानाध्यापिका सारवनी सेन ने बताया कि इसका उद्देश्य छात्राओं को रचनात्मक रूप से जोड़े रखना और उन्हें हर समय मोबाइल फोन की लत से दूर रखना है। छात्राओं को बेकार की सामग्रियों से आकर्षक आभूषण बनाने के हुनर सिखाने के लिए बालिका विद्यापीठ ने एक कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें स्कूल की वरिष्ठ छात्राओं ने भाग लिया। उन्होंने बेकार पड़े कपड़े, कागज, जूट और चूडिय़ों के टुकड़ों के उपयोग से आभूषण बनाने के हुनर को सीखा। सेन के अनुसार कुछ छात्राओं ने अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय देते हुए इतने आकर्षक आभूषण बनाए कि शिक्षकों ने स्वयं उन्हें खरीदने की इच्छा व्यक्त की है। लड़कियां रचनात्मक हैं और हम उन्हें कुछ ऐसी गितिविधियों में शामिल करना चाहते हैं, जो उनके रचनात्मकता और कौशल को और बढ़ाए।

रचनात्मकता की ओर आकर्षित होंगी छात्राएं

प्रधानाध्यापिका सेन ने कहा कि मोबाइल फोन की लत शिक्षकों और अभिभावकों दोनों के लिए चिंता का कारण है। सभी घरों में दो या तीन मोबाइल फोन हैं। लडक़े-लड़कियां सोशल मीडिया तथा अन्य साइटों पर व्यस्त रहते हैं। जब छात्राएं खाली होती हैं, तो वे केवल मोबाइल फोन में व्यस्त रहती हैं। स्कूल में इस प्रकार की कार्यशाला से रचनात्मकता के प्रति उनकी रुचि बढ़ती है और घर पर भी वे बेकार की सामग्रियों से आभूषण बनाने और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रहेंगी। वे अपने आस-पास मिलने वाली सामग्रियों से नई चीजें बनाना चाहेंगी।

अभ्यास के साथ होगा सुधार

प्रधानाध्यापिका सेन के अनुसार लड़कियों को बेकार की सामग्रियों से हेयर बैंड और नेकपीस जैसे इस्तेमाल में आने वाली वस्तुएं बनाना सिखाया गया। कार्यशाला ने लड़कियों को एक नया कौशल सिखाया। अभ्यास के साथ उनमें सुधार होगा। बालिका विद्यापीठ के एक शिक्षक ने कहा कि हर कोई शिक्षा में अच्छा नहीं होता। कुछ लोग व्यावसायिक गतिविधियों में भी उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं।

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