PUC सर्टिफिकेट में बड़ा फर्जीवाड़ा, बिना जांच किए लग रही विधायक की गाड़ी से लेकर थाने में बंद कार पर ‘प्रदूषण फ्री’ की मुहर
Fake PUC Certificate: केवल वाहन का नंबर या फोटो दिखाने पर भी ’प्रदूषण फ्री’ सर्टिफिकेट तैयार किए जा रहे हैं। यह खेल RTO कार्यालय के बाहर खुलेआम चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।
अंकित राज सिंह चंद्रावत, नीरज कोटा में परिवहन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (पीयूसी) जारी करने का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। पत्रिका की 15 दिन की गहन पड़ताल में सामने आया कि बिना किसी जांच के ही वाहनों को ‘प्रदूषण फ्री’ घोषित कर पीयूसी सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं। इसके बदले वाहन मालिकों से चार से पांच गुना अधिक राशि वसूली जा रही है। हैरानी की बात यह है कि कुछ मामलों में तो थाने में बंद वाहनों और विधायक की कार तक को बिना देखे ही प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।
पत्रिका टीम ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में संचालित मोबाइल प्रदूषण जांच केंद्रों पर वाहनों की जांच करवाई। टीम ने जब नकद भुगतान के साथ बिना वाहन पेश किए पीयूसी सर्टिफिकेट की मांग की तो कई केंद्रों ने बिना किसी हिचकिचाहट के प्रमाण पत्र जारी कर दिए। स्थिति इतनी गंभीर है कि केवल वाहन का नंबर या फोटो दिखाने पर भी ’प्रदूषण फ्री’ सर्टिफिकेट तैयार किए जा रहे हैं। यह खेल आरटीओ कार्यालय के बाहर खुलेआम चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।
विधायक की कार का भी बना दिया पीयूसी
पत्रिका टीम ने इस पूरे खेल को उजागर करने के लिए कोटा दक्षिण विधायक की कार का भी सर्टिफिकेट बनाना चाहा तो बड़ी आसानी से पीयूसी जारी कर दिया गया। विधायक की कार (आरजे 20 यूबी 2627) का बिना वाहन के सर्टिफिकेट बना दिया। वैन में बैठे कर्मचारियों ने कार की केवल फोटो लेकर उसे कंप्यूटर से जोड़ते हुए नया प्रमाण पत्र तैयार कर दिया।
पत्रिका टीम ने झालावाड़ रोड स्थित आईएल चौराहा फ्लाईओवर के पास मौजूद मोबाइल जांच वैन (आरजे 20 जीए 4658) से संपर्क किया और थाने में जब्त एक गैंगस्टर की कार (आरजे 14 यूई 9395) का सर्टिफिकेट बनवाने की कोशिश की। पहले कर्मचारी ने इनकार किया, लेकिन जब अधिक पैसे देने की बात हुई तो वह 100 रुपए लेकर बिना वाहन देखे ही पीयूसी जारी कर बैठा।
नियमों की उड़ रही धज्जियां
सरकारी नियमों के अनुसार, किसी भी वाहन का पीयूसी प्रमाण पत्र तभी बन सकता है, जब वाहन को अधिकृत केंद्र पर ले जाकर उसकी निकास पाइप से उत्सर्जन की जांच की जाए। यह प्रमाण पत्र नए वाहनों के लिए एक वर्ष और पुराने वाहनों के लिए छह माह के लिए मान्य होता है। इस प्रक्रिया को पहले मैनुअल से ऑनलाइन किया गया, ताकि पारदर्शिता बनी रहे, लेकिन निजी फर्मों ने तकनीकी व्यवस्था में सेंध लगाकर अब ऑनलाइन भी फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने का तरीका निकाल लिया है।
आरटीओ ऑफिस के बाहर ही बरसों से चल रहा अवैध कारोबार
पत्रिका टीम ने आरटीओ ऑफिस के सामने अधिकृत मोबाइल पीयूसी वैन में जाकर जब संवाददाता ने अपनी कार का प्रमाण पत्र बनवाने की बात कही तो पहले कर्मचारी ने वाहन लाने को कहा, लेकिन जब अतिरिक्त रुपए लेकर बात करने पर जोर दिया गया तो वह मात्र 70 रुपए लेकर वाहन नंबर के आधार पर ही सर्टिफिकेट जारी कर बैठा।
लाइसेंस निलबित करेंगे
यदि कोई पीयूसी वैन संचालक बिना वाहन लाए ही सर्टिफिकेट जारी कर रहा है तो वह गलत है। वैसे तो इसको ऑनलाइन कर दिया है, इसके बावजूद ऐसा हो रहा है तो जांच करवाकर वैन संचालक के लाइसेंस को निलबित किया जाएगा।