scriptMandi News: गेहूं खरीद की व्यवस्था बनी सिरदर्द, पहले तुलाई में देरी, अब किसानों को भुगतान मिलने का इंतजार | Wheat procurement system has become a headache, first there was delay in weighing, now farmers are waiting to get payment | Patrika News
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Mandi News: गेहूं खरीद की व्यवस्था बनी सिरदर्द, पहले तुलाई में देरी, अब किसानों को भुगतान मिलने का इंतजार

कोटा जिले के सांगोद में तिलम संघ की ओर से संचालित गेहूं खरीद की व्यवस्था इस बार किसानों की परेशानी बढ़ा रही है।

कोटाMay 17, 2025 / 02:35 pm

anand yadav

राजस्थान में गेहूं खरीद की व्यवस्था किसानों को राहत देने की बजाय परेशानी का कारण बन रही है। कोटा जिले के सांगोद में तिलम संघ की ओर से संचालित गेहूं खरीद की व्यवस्था इस बार किसानों की परेशानी बढ़ा रही है। हालत यह है कि पहले किसानों को तुलाई का इंतजार करना पड़ रहा हैं फिर तुलाई हो जाए तो उपज के भुगतान के लिए चक्कर काटना पड़ रहा है। 48 घंटे में भुगतान के दावे के विपरित किसानों को एक-एक पखवाड़े तक उपज का भुगतान नहीं हो रहा। जिससें किसानों की परेशानी बढ़ रही हैं।
कोटा कृृषि उपज मंडी

उपज खरीद से पहले ऑनलाइन पंजीयन

उल्लेखनीय है कि यहां तिलम संघ की ओर से गौण कृषि उपजमंडी में गेहूं की खरीद हो रही है। गेहूं की तुलाई से पहले किसानों का ऑनलाइन पंजीयन हो रहा है। अब तक 741 किसान गेहूं की उपज तुलाई के लिए पंजीयन करा चुके हैं। इनमें 234 किसानों की करीब 28 हजार क्विंटल गेहूं की खरीद हो चुकी है।
लेकिन इस बार तुलाई के पहले और भुगतान के लिए किसानों को सब्र का इतिहान देना पड़ रहा है। केन्द्र पर ना तो तुलाई समय पर हो रही है और न हीं किसानों को उपज तुलाई के बाद समय पर भुगतान मिल रहा है। वहीं तिलम संघ क्षेत्रिय प्रतिनिधि रमेश बैरागी ने बताया कि किसानों का भुगतान ऑनलाइन खातों में होता है। उच्च स्तर पर समय पर सूचना भेजी जा रही है। भुगतान में थोड़ा विलब हो सकता है।
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तुलाई का इंतजार, सुरक्षा की चिंता

पंजीयन के बाद संबंधित किसान को मोबाइल पर सूचना भेजी जाती है। किसान निर्धारित तिथि पर ट्रैक्टर-ट्रॉली में उपज भरकर केन्द्र पर पहुंच जाते हैं। यहां गेट पास कटवाने के बाद उनका क्रमांक तय होता है। लेकिन सात से दस दिन तक तुलाई का नंबर नहीं आ रहा। मजबूरन किसानों को उपज से भरे वाहन केन्द्र पर ही खड़े करने पड़ रहे है। उपज की सुरक्षा को लेकर भी किसानों को केन्द्र पर ही डेरा डाले रहना पड़ रहा है।
कोटा कृृषि उपज मंडी

फिर भुगतान के लिए चक्कर

उपज तुलाई के बाद किसानों को भुगतान के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। यूं तो सरकार का दावा 48 से 72 घंटे में भुगतान का है, लेकिन यहां एक-एक पखवाड़े तो कई किसानों को इससे अधिक दिनों तक भी भुगतान का इंतजार करना पड़ रहा है। इस दौरान किसान केन्द्र पर चक्कर काटते रहते है। लेकिन भुगतान मिलने को लेकर उन्हें कोई संतोषप्रद जवाब नहीं मिलता। मजबूरन थह-हार कर वापिस चले जाते हैं।
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किसानों को नहीं मिला भुगतान

तोलाराम नागर ने भी तीन मई को उपज बेची थी, लेकिन अभी तक उपज का पैसा हाथ नहीं आया। तिलम संघ प्रतिनिधियों से बात करते हैं तो वो भी भुगतान कब तक मिलेगा इसको लेकर कोई संतोषप्रद जवाब नहीं देते।
दिल्लीपुरा निवासी गिरिराज मेहता ने बताया कि मोबाइल पर सूचना आने के बाद 23 अप्रेल को उपज लेकर केन्द्र पर पहुंचे। दस दिन बाद 3 मई को उपज की तुलाई हुई। अभी तक उपज का भुगतान नहीं मिला।

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