scriptPanchayat Election 2026 से पहले एनडीए के कुनबे में बिखराव! तीन बड़े सहयोगी अपने दम पर लड़ेंगे चुनाव | Before Panchayat Election 2026, NDA family is in turmoil! Three big allies will fight the elections on their own | Patrika News
लखनऊ

Panchayat Election 2026 से पहले एनडीए के कुनबे में बिखराव! तीन बड़े सहयोगी अपने दम पर लड़ेंगे चुनाव

Panchayat Election 2026: उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में अलगाव की स्थिति दिखाई दे रही है। NDA के तीन बड़े दलों ने अपने दम पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।

लखनऊMay 26, 2025 / 04:24 pm

Prateek Pandey

Panchayat Election 2026 भाजपा को लग सकता है बड़ा झटका

Panchayat Election 2026 भाजपा को लग सकता है बड़ा झटका

Panchayat Election 2026: बीजेपी के विश्वस्त सहयोगी माने जाने वाले तीन दल अपना दल (एस), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और निषाद पार्टी ने आगामी पंचायत चुनाव अपने दम पर लड़ने का एलान कर दिया है। इन दलों के इस फैसले से भाजपा के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।

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क्या कहती हैं अनुप्रिया पटेल

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने साफ तौर पर कहा है कि उनकी पार्टी पंचायत चुनाव (Panchayat Election 2026) में अकेले उतरेगी और गठबंधन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट कर दिया है कि जो चुनाव लड़ना चाहते हैं, उन्हें पार्टी से मौका मिलेगा। यह बयान ऐसे समय आया है जब अपना दल (एस) को बीजेपी का भरोसेमंद साथी माना जाता रहा है।

सुभासपा और निषाद पार्टी भी बिखरी

इसी राह पर सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के प्रमुख डॉ. संजय निषाद भी चल पड़े हैं। डॉ. निषाद ने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे हर बूथ पर पार्टी का झंडा फहराएं और पूरी तैयारी के साथ पंचायत चुनाव में उतरें। इन नेताओं के रुख को केवल पंचायत चुनाव तक सीमित नहीं देखा जा रहा, बल्कि इसे 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। अगर ये दल पंचायत चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो भविष्य में एनडीए के भीतर अपने लिए ज्यादा सीटों की मांग कर सकते हैं।
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भाजपा को लग सकता है बड़ा झटका

इन क्षेत्रीय दलों की नाराजगी बीजेपी के लिए चिंता का कारण बन सकती है। दरअसल यूपी में भाजपा ने इन दलों के साथ मिलकर ऐसा सामाजिक समीकरण तैयार किया था जो उसकी चुनावी जीत का आधार बना था। यदि ये दल अलग होकर चुनाव लड़ते हैं तो वोटों का बिखराव संभव है और इससे भाजपा की जमीनी पकड़ कमजोर पड़ सकती है।

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने दिया बयान

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इस मसले पर कहा है कि सहयोगी दलों के बयानों पर पार्टी स्तर पर कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अभी तय नहीं है कि पंचायत चुनाव में कौन-सा दल अकेले लड़ेगा और कौन-सा मिलकर। बहरहाल सहयोगी दलों की इस दूरी ने भाजपा के लिए आगामी पंचायत चुनाव को पहले से अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

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