24×7 हेल्पलाइन नंबर जारी
मुख्यालय स्तर पर नागरिकों की सहभागिता और त्वरित सूचना तंत्र को मजबूत बनाने के लिए वन विभाग ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। इन नंबरों के माध्यम से कोई भी नागरिक जंगलों में लगी आग की सूचना दे सकता है।
जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर:
- 0522-2977310
- 9452162054
- 9648982985
- 9651368060
- 9415394662
- 7017112077
संवेदनशील जिलों में विशेष तैयारी
प्रदेश के उन जनपदों को संवेदनशील की सूची में रखा गया है, जहां जंगलों में आग लगने की घटनाएं ज्यादा होती हैं। इन जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में विशेष समिति का गठन किया गया है, जो वन विभाग और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर बचाव कार्यों की रणनीति तैयार करेगी। साथ ही, जंगलों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।
आग लगने के कारण और रोकथाम के उपाय
जंगलों में आग लगने के प्रमुख कारणों में मानवीय लापरवाही और अत्यधिक गर्मी का असर शामिल है। जलती हुई बीड़ी-सिगरेट फेंकना, खुली आग छोड़ना, सूखे पत्तों में लगी चिंगारी हवा से फैलना, आदि मुख्य कारण हैं। वन विभाग द्वारा निम्नलिखित उपाय किए जा रहे हैं:
- स्थानीय समुदायों को जागरूक करना
- वन क्षेत्रों में गश्त बढ़ाना
- आग बुझाने के उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- आग बुझाने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की तैनाती
- आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना
अन्य राज्यों की तर्ज पर आधुनिक तकनीकों का होगा इस्तेमाल
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की तरह अब उत्तर प्रदेश में भी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। फॉरेस्ट फायर मॉनिटरिंग एप्लिकेशन और ड्रोन कैमरों की मदद से आग लगने की घटनाओं पर तेजी से नजर रखी जाएगी। इससे आग लगने की स्थिति में त्वरित अलर्ट मिल सकेगा और बचाव कार्यों में तेजी लाई जा सकेगी।
वन विभाग की अपील
वन विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे जंगलों में आग लगाने से बचें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तत्काल संबंधित अधिकारियों को दें। जागरूकता और सतर्कता से ही इन घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार और वन विभाग गर्मियों में जंगलों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं। नागरिकों की सतर्कता और सहयोग से ही इन घटनाओं को कम किया जा सकता है।