मुरैना. शिक्षकों के अटैचमेंट का मामला हर साल सुर्खियों में रहता है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अटैच शिक्षकों को मूल संस्था में वापस भेजने का मामला मुरैना विधायक दिनेश गुर्जर ने विधानसभा में उठाया तो डीईओ ने आधा दर्जन अटैच शिक्षकों को आनन फानन में पहले मौखिक और फिर लिखित आदेश देकर कार्यालय से हटा दिया लेकिन कुछ दिन बाद माननीय के पुत्र के फोन पर डीईओ ने कलेक्टर को नोटशीट चलाने की चर्चा है। डीईओ का कहना हैं कि कलेक्टर ने वापसी की है।
शिक्षकों के अटैचमेंट को लेकर लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल स्तर से पूर्व में कई बार अधिकारी अटैचमेंट खत्म करने के आदेश जारी कर चुके हैं लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारियों की ढील के चलते शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। अटैचमेंट के चलते स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही थी। इसको ेेलेकर मुरैना के कांग्रेस विधायक दिनेश गुर्जर ने विधानसभा में प्रश्न लगाया कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ऐसे शिक्षकों के अटैचमेंट कर लिए हैं जिनकी वजह से स्कूलों की पढ़ाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है। उधर प्रश्न लगाया, इधर भोपाल से फोन आया तो जिला शिक्षा अधिकारी ने आनन फानन में अटैच स्टाफ को पहले मौखिक फिर लिखित आदेश जारी कर सभी को कार्यमुक्त कर दिया। उसमें कुछ ऐसा स्टाफ भी शामिल था जिसको भोपाल के आदेश पर पदस्थ किया था।
इनको किया था कार्यमुक्त
डीईओ कार्यालय के रहमान खान, भुपेन्द्र घुरैया, विजय तोमर, अंबरीश शर्मा, विजेन्द्र तोमर, हरेन्द्र सिंह सिकरवार और प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी शिवराज शर्मा, हरेन्द्र सिंह तोमर को भी कार्यमुक्त कर दिया जबकि विधानसभा प्रश्न में सिर्फ डीईओ कार्यालय का उल्लेख था। इनमें से विजय तोमर, विजेन्द्र तोमर, हरेन्द्र सिकरवार के वपासी के आदेश अधिकारी स्तर पर हो गए हैं। इनके अलावा हरेन्द्र तोमर व अंबरीश शर्मा न्यायालय से स्थगन ले आए हैं। वहीं भूपेन्द्र घुरैया इसी उम्मीद के साथ डीईओ कार्यालय पहुंच रहे हैं कि हमारा भी शीघ्र आदेश हो रहा है। घुरैया की हिंदी विषय से नियुक्ति है लेकिन संस्कृ प्रकोष्ठ के प्रभारी बनकर डीईओ कार्यालय पहुंचे थे।
ये था आदेश
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अटैच शिक्षकों को ये निर्देश दिए थे कि अपनी अपनी शिक्षण संस्थाओं में पीरियड लेने के बाद अतिरिक्त समय में डीइओ कार्यालय में दी गई जिम्मेदारी का निर्वहन करना हैं लेकिन अधिकांश शिक्षक पोल में घुस गए और जिस दिन से डीईओ ऑफिस में अटैच किया, उस दिन पीरियड लेना तो दूर स्कूल की तरफ मुडकऱ भी नहीं देखा। कुछ शिक्षक तो माननीय की सिफारिश पर नियम विरुद्ध डटे हुए हैं। विधानसभा में मामला पहुंचने के बाद भी डीईओ ने कुछ दिन बाद फिर से कर्मचारियों की वापसी करने के पीछे उनके अलग तर्क हैं लेकिन यह कार्य नियम विरुद्ध है।
अब आपदा नियंत्रण कक्ष पर भी शिक्षकों को किया अटैच
शासन के लगातार निर्देश जारी हो रहे हैं कि शिक्षकों को गैर शिक्षकीय कार्य से मुक्त किया जाए लेकिन मुरैना में ज्यादातर सरकारी कार्य में शिक्षकों को ही लगाया जाता है। इस बार प्रशासन ने गर्मियों में अग्निकांड, लू (तापघात) एवं मानसून वर्षा को दृष्टिगत संभावित बाढ़ एवं अतिवृष्टि के बचाव हेतु कलेक्टर परिसर में बाढ़ नियंत्रण व आपदा प्रबंधन कक्ष संचालन के लिए 15 शिक्षकों को अटैच किया है। यहां एरीगेशन, पीएचई, आरईएस सहित अन्य तमाम विभाग थे, वहां से कर्मचारियों को तैनात किया जा सकता था लेकिन शिक्षकों को अटैच किया है। जिन शिक्षकों को अटैच किया है, उनमें शासकीय हाईस्कूल पिपरसेवा के मुरारीलाल शर्मा, मिडिल स्कूल कोठे का पुरा के वीरेन्द्र शर्मा, रामू केवट, प्राथमिक विद्यालय राजाराम का पुरा से मान सिंह, मिडिल स्कूल मलखान पुरा से रामनाथ शाक्य, जखौदा से हनीफ खान, पीएस सीतापुर से बलवीर गुर्जर, पीएस गोलपुर से जीतेन्द्र कुमार, लभन पुरा से उदय राजपूत, विसैंठा से सुरेन्द्र कुशवाह, खटाने का पुरा से मुकेश बाथम, जैतपुर सीमेंट बानमोर से संदीप बाजपेयी, सूडे का पुरा से सत्यनारायण पांडेय, जयनगर से शैलेन्द्र होलकर शामिल हैं।
ये बोले जिम्मेदार
अटैच शिक्षकों को हटाने के बाद फिर से रखा गया है, यह डीईओ की मनमानी हैं, अगली बार विधानसभा में फिर से इस मामले को गंभीरता से उठाया जाएगा।
दिनेश गुर्जर, विधायक, मुरैना
जिन शिक्षकों की वापसी की है, उनको यह निर्देश दिए हैं कि स्कूल में पढ़ाना हैं, उसके अतिरिक्त डीईओ कार्यालय का काम करना हैं, इन शिक्षकों की वापसी कलेक्टर ने की है।
एस के सक्सेना, जिला शिक्षा अधिकारी
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