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मुरैना

नहीं बनाई रास्ता, न पंखे लगाए फिर भी हैंडओवर हो गया डिजिटल स्टूडियो

शासकीय कन्या कॉलेज में 1.29 करोड़ में तैयार किया जा रहा स्टूडियो, उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के दस संभाग का किया चयन, जहां तैयार किए गए स्टूडियो, चंबल संभाग में मुरैना कन्या कॉलेज को चुना

मुरैनाMay 25, 2025 / 01:14 pm

Ashok Sharma

मुरैना. चंबल संभाग का एक मात्र डिजीटल स्टूडियो की स्थापना पर 1 करोड़ 29 लाख की लागत से शासकीय अग्रणी कन्या महाविद्यालय मुरैना में तैयार किया गया है। लेकिन इसमें काम पूरा नहीं हो सका है, उससे पहले कॉलेज प्रबंधन ने हैंडओवर कर लिया है।
शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के दस संभागों में डिजीटल स्टूडियो स्वीकृत किए थे। चंबल संभाग में मुरैना के कन्या महाविद्यालय का चयन किया गया। इसके भवन निर्माण के लिए करीब 29 लाख का टेंडर हुआ और करीब एक करोड़ रुपए में कैमरे, कुर्सी सहित अन्य कार्य होना था। निर्माण में कॉलेज के मुख्य गेट से स्टूडियो के गेट तक पेवर ब्लॉक लगाकर सडक़ तैयार करनी थी, स्टूडियो में आठ पंखे लगाने थे अन्य कार्य भी पूरा नहीं किया है, उसके बाद भी कॉलेज प्रबंधन ने उसको हैंडओवर ले लिया। अब निर्माण एजेंसी ने कार्य करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। वहीं जितनी राशि शासन ने डिजीटल स्टूडियो भवन के निर्माण के लिए दी थी अगर विभाग चाहता तो नए सिरे से भी हॉल तैयार किया जा सकता है। लेकिन पुराने हॉल की डेटिंग पेटिंग पर पूरा पैसा खर्च कर दिया गया। वहीं स्टूडियो के अंदर कंप्यूटर रखने के लिए नई टेबिल तैयार करनी थीं लेकिन कॉलेज की टेबिलों पर कंप्यूटर लगा दिए गए हैं।

डेढ़ की जगह लगाए एक टन के एसी

डिजीटल स्टूडियो कक्ष में ठेकेदार द्वारा डेढ़ की जगह एक टन के एयरकंडीशनर लगाए गए हैं जबकि स्टीमेट में डेढ़ टन के छह एसी लगाना बताया गया है। नए एसी के ऊपर लगे रेपर को भी निकाल दिया है जिससे दिखाई न दे कि एसी एक टन का है या डेढ़ टन। कॉलेज प्रबंधन को भी इस बात का पता चल गया कि एसी स्टीमेट से डिफरेंट लगाए गए हैं, इसलिए प्रबंधन ने पूर्व में हैंडओवर करने से हाथ पीछे खींच लिए थे लेकिन बाद में प्रबंधन व ठेकेदार के बीच क्या रहा, जिसके चलते हैंडओवर कर लिया, यह जांच का विषय है। यह सब विभागीय इंजीनियरों की मिली भगत से हो रहा है। जब स्टीमेट में डेढ़ टन लिखा तो एक टन के लगाने पर इंजीनियरों ने आपत्ति क्यों नहीं की।


आंधी आने पर भर गई स्टूडियो में धूल

स्टीमेट में इस बात का उल्लेख है कि स्टूडियो को पूरी तरह कवर्ड करना हैं। जहां भी खिडक़ी व गेट खुले हैं, वहां कांच लगाकर बंद करना हैं जिससे धूल अंदर न जाए क्योंकि स्टूडियो के अंदर महंगे उपकरण लगे हुए हैं, अगर धूल गई तो उनके खराब होने की आशंका है। ठेकेदार द्वारा स्टूडियो की गैलरी में लगे लोहे के शटर वाले गेट पर कांच न लगाते हुए सिर्फ पर्दे लगा दिए हैं जिससे पिछले दिन आई आंधी में बड़ी मात्रा में अंदर धूल भर गई।

सरकारी कॉलेजों के विशेषज्ञों के दर्ज होंगे लेक्चर

चंबल संभाग के भिंड, श्योपुर के सरकारी कॉलेज सहित मुरैना के शासकीय पीएमश्री महाविद्यालय, शासकीय कन्या महाविद्यालय, शासकीय विधि महाविद्यालय एवं जौरा महाविद्यालय, सबलगढ़ नेहरू कॉलेज, कैलारस, बानमोर, दिमनी, पोरसा, रजौधा, रिठौरा महाविद्यालय के विषय विशेषज्ञ प्राध्यापकों के डिजीटल स्टूडियो में संबंधित विषय पर लेक्चर होंगे। इसके अलावा कॉलेज में सेमीनार बगैरह में बाहर से आने वाले प्राध्यापकों के भी लेक्चर रिकॉर्ड होंगे। उन लेक्चर को उच्च शिक्षा विभाग साइड पर लोड किया जाएगा जिससे छात्र छात्रा इन लेक्चरों का लाभ ले सके।

ये शामिल था स्टूडियो के स्टीमेट में

कोटा स्टोन फर्श, दीवारों पर कहीं 15 और कहीं 20 एम एम का प्लास्टर, पुट्टी, चौखट ागौन की लकड़ी की, फ्लश डोर, एल्युमीनिय के दरवाजे व बंद करने वाला यंत्र डोर क्लोजर, दीवार पैनलिंग, दीवार पैनलिंग ध्वनिक, पीवीसी पॉली विनाइल फर्स, बाहरी दीवार पर चार एम एम कॉपर बोर्ड, फॉल्स सीलिंग, अलमारी, शटर्स, लेखन बोर्ड, एल्युमीनिय खिडक़ी, विजन ग्लास पैनल, फायर सिस्टम, दीवार पेंट, वाटर प्रूफिंग ट्रीटमेंट छत, साउंड फ्रूप दरवाजा, पॉइंट वायरिंग, सर्किट वाइरिंग, पावर पॉइंट, मोड्यूलर बॉक्स जी आई, केबिल सिंगल बोर, कॉलेज गेट से स्टूडियो तक पेवर ब्लॉक की सडक़ सहित अन्य कार्य शामिल था।

ये बोले जिम्मेदार

डिजीटल स्टूडियो को पूर्व प्राचार्य ने हैंडओवर किया है, मुझे दो दिन पहले ही प्रभार मिला है। फिर भी स्टूडियों में जो भी कमियां रह गई हैं, उनकी पूर्ति के लिए संबंधित ठेकेदार से पत्राचार कर कार्य को दुरस्त कराया जाएगा।

डा. जी एस उच्चारिया, प्रभारी प्राचार्य, शासकीय कन्या महाविद्यालय, मुरैना

डिजीटल स्टूडियो के निर्माण के लिए जो टेंडर हुआ था, वह काफी ब्लो रेट पर हुआ था। इसलिए जितना काम हो सकता था, उतना करवा दिया है। फिर भी अगर कमी रह गई तो हम दिखवा लेते हैं।

एम डी अवस्थी, सब इंजीनियर, एम पी हाउसिंग बोर्ड, मुरैना

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