सतीश सालियान (Satish Salian) के वकील नीलेश ओझा (Nilesh Ojha) ने हाईकोर्ट को बताया कि मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया था, इसके बावजूद मुंबई कि मालवणी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक की ओर से जवाब दाखिल किया गया। इसे याचिकाकर्ता ने कोर्ट में गंभीरता से उठाया।
सुनवाई के दौरान एक और अहम मोड़ तब आया जब शिवसेना (यूबीटी) के विधायक आदित्य ठाकरे द्वारा दाखिल की गई हस्तक्षेप याचिका पर वकील निलेश ओझा ने आपत्ति जताते हुए कहा कि आदित्य ठाकरे खुद इस मामले में मुख्य आरोपी हैं, इसलिए उन्हें इस प्रकरण में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने अदालत से मांग की कि आदित्य ठाकरे की याचिका खारिज की जाए।
इस बीच मुंबई पुलिस की ओर से दिशा सालियन की मौत को आकस्मिक मौत का मामला बताते हुए किसी भी प्रकार की साजिश या हत्या की आशंका से इनकार किया गया है। मालवणी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक शैलेंद्र नगरकर ने अपने हलफनामे में बताया कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और कोई आपराधिक मामला दर्ज करने की जरूरत नहीं पाई गई है। मामले की प्रारंभिक जांच पूरी हो चुकी है। दिशा की मौत एक हादसा है और इसमें किसी तरह की साजिश या हत्या के प्रयास का कोई सबूत नहीं मिला है। इसलिए सतीश सालियान की याचिका खारिज करने की मांग की गई है।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने कहा, “अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को आदित्य ठाकरे से माफी मांगनी चाहिए। ठाकरे को बदनाम करने के लिए फडणवीस के अलावा नितेश राणे, एकनाथ शिंदे और अन्य बीजेपी नेताओं को भी आदित्य ठाकरे और शिवसेना (UBT) से माफी मांगनी चाहिए।”
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि 28 वर्षीय दिशा सालियान ने 8 जून 2020 को उपनगरीय मलाड इलाके में एक इमारत से कूदकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। इसके छह दिन बाद 34 वर्षीय राजपूत मुंबई के बांद्रा में अपने अपार्टमेंट में फंदे से लटके पाए गए थे। इसी साल मार्च में सतीश सालियान ने अपनी बेटी की मौत की नए सिरे से जांच की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि उसके साथ गैंगरेप हुआ था और सच को दबाने के लिए उसकी हत्या कर दी गई। सतीश सालियान ने शिवसेना (UBT) विधायक आदित्य ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। याचिका में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की भूमिका की भी जांच करने की मांग की है। हालांकि अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि बॉम्बे हाईकोर्ट दो हफ्तों के भीतर दाखिल किए जाने वाले राज्य सरकार के जवाब के बाद क्या रुख अपनाता है और आदित्य ठाकरे की याचिका को लेकर क्या फैसला आता है।