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महाराष्ट्र: 2 महीने बाद भी मंत्रियों को नहीं मिले पीए और OSD, फडणवीस के आदेश से शिंदे सेना नाखुश!

Maharashtra Politics: शिवसेना के मंत्री इस मुद्दे को आगामी कैबिनेट बैठक में उठाने की योजना बना रहे हैं।

मुंबईFeb 11, 2025 / 12:55 pm

Dinesh Dubey

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सरकार बने दो महीने से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन कई मंत्रियों को अब भी पूरा स्टाफ नहीं मिल पाया हैं। सूत्रों का कहना है कि इस वजह से खासकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना से बने मंत्रियों में नाराजगी है। आगामी कैबिनेट बैठक में यह मुद्दा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के समक्ष उठाया जा सकता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंत्रियों के निजी सहायकों (पीए) और विशेष कार्यकारी अधिकारियों (OSD) की नियुक्तियों सहित कई सिफारिशें मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) में लंबित है, इस वजह से शिवसेना नेता नाखुश है। उनका कहना है कि इस देरी के कारण उनका प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हो रहा है।
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शिवसेना नेताओं का कहना है कि पीए और ओएसडी नहीं होने की वजह से उन्हें मंत्री के तौर पर अपने प्रशासनिक कर्तव्यों को कुशलतापूर्वक निभाने में बाधा आ रही है। बताया जा रहा है कि जो नाम मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजे गए हैं, उनमें से कुछ अधिकारी तो 2014 से विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं, लेकिन उनकी नियुक्तियां भी सीएमओ द्वारा रोकी गई हैं।
उदय सामंत, शंभुराज देसाई, संजय राठौड़ और गुलाबराव पाटिल सहित शिंदे सेना के कई मंत्री उनके प्रस्तावित पीए और ओएसडी के नामों पर सीएमओ की मुहर लगने का इंतजार कर रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक, सीएम फडणवीस ने मंत्री के कार्यालयों में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित नामों की स्क्रीनिंग का काम आईएएस श्रीकर परदेशी (IAS Shrikar Pardeshi) और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के ओएसडी चंद्रशेखर वाजे (Chandrashekhar Vaze) को सौंपा है। 
महाराष्ट्र कैडर के 2001 बैच के आईएएस अधिकारी परदेशी ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से लेकर महाराष्ट्र सरकार तक कई टॉप पदों पर काम किया है। वह वर्तमान में सीएमओ के सचिव के रूप में कार्यरत हैं। जबकि वाजे ने आरएसएस और बीजेपी पदाधिकारी के रूप में काम किया है।
इस देरी का कारण सीएमओ द्वारा लागू की गई नई नियुक्ति प्रक्रिया है। जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय की अनुमति के बाद ही मंत्री अपने निजी सचिवों, पीए और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति कर सकेंगे। नियुक्ति से पहले मंत्रियों के साथ काम करने वाले अधिकारियों की पृष्ठभूमि की गहन जांच की जा रही है। पहले ये नियुक्तियां मंत्रियों की मर्जी से होती थी।
बता दें कि 2014 में जब बीजेपी और शिवसेना (अविभाजित) की गठबंधन सरकार बनी थी तो तत्कालीन सीएम फडणवीस ने मंत्रियों के स्टाफ की नियुक्ति के लिए यही तरीका अपनाया था। 2014 में फडणवीस पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।

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