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मुंबई

पुणे में Guillain Barre Syndrome का प्रकोप, एक महीने में 6 लोगों की मौत, मरीजों की संख्या 170 के पार

Guillain Barre Syndrome Maharashtra: पुणे में दुर्लभ बिमारी गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। राज्य में अब तक जीबीएस से संक्रमित छह मरीज दम तोड़ चुके है।

मुंबईFeb 07, 2025 / 07:36 pm

Dinesh Dubey

Maharashtra Guillain Barre Syndrome GBS
महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से मरने वालों की तादाद में इजाफा होता जा रहा है। यह संख्या अब छह हो गई है। इसमें से पांच संक्रमितों की मौत सिर्फ पुणे जिले में हुई है। वहीं, राज्य में अब तक जीबीएस के दर्ज मामले कुल 173 हो गए हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक, पुणे में जीबीएस के कारण गुरुवार को एक और व्यक्ति की मौत हो गई। कर्वेनगर (Karve Nagar) की झुग्गी बस्ती में रहने वाले 63 साल के एक बुजुर्ग ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
पीड़ित ने काशीबाई नवले अस्पताल में दम तोड़ दिया। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पुणे में यह पांचवीं और राज्य में छठी संदिग्ध मौत है। पीड़ित को 28 जनवरी बुखार, दस्त, चलने में कठिनाई और कमजोरी के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
जानकारी के अनुसार, गुरुवार को जीबीएस के तीन नए संदिग्ध मामले दर्ज किए गए। राज्य में अब तक कुल 173 संदिग्ध मरीजों का पता चला है, जिनमें से 140 में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। वहीँ, जीबीएस से पुणे में चार, पिंपरी-चिंचवड में एक और सोलापुर में एक शख्स की मौत की खबर है।
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जीबीएस के 72 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। जबकि 55 मरीजों की हालत गंभीर है और वे आईसीयू में भर्ती हैं। वहीं, 21 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है।

उल्लेखनीय है कि 27 जनवरी को पुणे में जीबीएस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सात सदस्यीय टीम तैनात की। स्वास्थ्य विभाग ने सलाह दी कि सावधानियां बरतकर जीबीएस को कुछ हद तक रोका जा सकता है। जिसमें उबला हुआ पानी पीना, खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोना, चिकन और मांस को ठीक से पकाना, कच्चे या अधपके भोजन, विशेष रूप से सलाद, अंडे, कबाब या समुद्री भोजन से परहेज करना शामिल है।

क्या है जीबीएस बीमारी?

जीबीएस एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही नसों पर हमला करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम पेरिफेरल नर्व सिस्टम के एक हिस्से पर हमला करता है। जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, पैर-बाहों में झुनझुनी, सूनापन और निगलने या सांस लेने में दिक्कतें होती हैं।
जीबीएस संक्रमण दूषित पानी या भोजन के सेवन से हो सकता है। संक्रमण से दस्त और पेट दर्द हो सकता है। कुछ व्यक्तियों में, प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं को निशाना बनाती है, जिससे 1 से 3 सप्ताह के भीतर जीबीएस के बारे में पता चल जाता है।

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