उज्जैन रेलवे स्टेशन से लेकर महाकाल मंदिर तक बनने वाले रोप-वे Mahakal Lok Ropeway का काम मप्र सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) करेगा। शुक्रवार को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान एमपीआरडीसी के वकीलों ने भूमि अधिग्रहण से संबंधी कानूनों को रखा। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अंतिम फैसला सुना दिया। कोर्ट ने यह भी माना कि याचिकाकर्ता जमीन के मालिक नहीं हैं।
यह भी पढ़ें: एमपी के बड़े पुलिस अधिकारी हुए लापता, पत्र में लिखा- आत्महत्या जैसी बन गई स्थिति एमपीआरडीसी के अधिवक्ता अभिनव धानोतकर ने बताया, ये रोप-वे गणेश कॉलोनी, चारधाम रोड उज्जैन से होकर गुजर रहा था। इसकी जद में आ रहे कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि यहां अधिग्रहण की जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है वो असंवैधानिक है। उन्हें उचित मुआवजा और पुर्नवास का अधिकार दिए बगैर ही जमीन अधिग्रहित की जा रही है।
भूमि अधिग्रहण के लिए तय नियम के तहत तय सामाजिक और आर्थिक मूल्यांकन की अनदेखी करते हुए यहां जमीन ली जा रही है। इन लोगों ने मकान के साथ ही जमीन का मुआवजा भी मांगा था। इस याचिका पर 9 जनवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्टे आदेश जारी कर दिया था, जिसके बाद लगातार सुनवाई जारी थी।
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शुक्रवार को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान भूमि अधिग्रहण से संबंधी कानूनों को रखा गया। साथ ही बताया गया कि जो लोग दावा कर रहे हैं वो जमीन के मालिक नहीं हैं। साथ ही जो प्रक्रिया अपनाई गई है वो भी भूमि अधिग्रहण कानून के तहत की जा रही है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने शुक्रवार को अंतिम फैसला जारी कर दिया।
यह भी पढ़ें: एमपी में शिक्षक भर्ती पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, अंकों में छूट पर भी मांगा जवाब कोर्ट ने इस दौरान माना कि याचिकाकर्ता जमीन के मालिक नहीं हैं, जमीन के मालिक को मुआवजा राशि का 80 फीसदी पैसा दिया जा चुका है, जो उन्होंने स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने इस बात को माना कि याचिकाकर्ताओं ने भूमि अधिग्रहण के लिए जो आपत्ति ली है उसमें उन्हें मकान के एवज में मकान या जमीन देने की जो मांग की गई है, वो उन्होंने पहले जो आपत्तियां ली थीं, उसमें इसका उल्लेख नहीं किया था। कोर्ट में नए सिरे से ये मांग की गई है। चूंकि उन्होंने पूर्व में जो आपत्ति ली थी, उसका पहले ही निराकरण हो चुका है और याचिकाकर्ताओं को पहले ही मुआवजे की 80 फीसदी राशि दी जा चुकी है। इसके चलते हाईकोर्ट ने इस याचिका को हस्तक्षेप योग्य नहीं मानते हुए खारिज कर दिया।
रोपवे रूट की कुल दूरी 1.762 किलोमीटर होगी। इससे हर घंटे 2 हजार यात्री जा सकेंगे। प्रतिदिन 48 हजार भक्त इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। प्रोजेक्ट में मोनोकेबल डिटेचेबल गोंडोला तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
सबसे खास बात यह है कि रोपवे से रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक मात्र 7 मिनट में पहुंचा जा सकेगा। करीब पौने दो किलोमीटर की यह दूरी तय करने में अभी 25 से 30 मिनट लगते हैं।